
- शिक्षा जब संस्कारों से जुड़ती है, तभी होता सशक्त समाज और श्रेष्ठ नागरिक का निर्माण: उपायुक्त डॉ. विरेंद्र कुमार दहिया
- अच्छे संस्कार ही सच्ची शिक्षा की पहचान
- हरियाणा की सांस्कृतिक धरोहर संग खिला नन्हा टैलेंट
- तीन दिवसीय राज्य स्तरीय सांस्कृतिक महोत्सव का भव्य शुभारंभ
- थीम हरियाणा की धरोहर संस्कृति, नैतिक मूल्य और पर्यावरण
Aaj Samaaj (आज समाज) Panipat News : हरियाणा के पानीपत शहर के जीटी रोड स्थित आर्य महाविद्यालय सभागार में मंगलवार को तीन दिवसीय राज्य स्तरीय सांस्कृतिक महोत्सव का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन उपायुक्त डॉ. विरेंद्र कुमार दहिया ने किया व उद्घाटन समारोह में प्रदेश भर से आए विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उपायुक्त डॉ. दहिया ने कहा कि अच्छे संस्कार ही सच्ची शिक्षा की पहचान हैं। शिक्षा केवल अंकों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि बच्चों के भीतर नैतिक मूल्यों और मानवीय संवेदनाओं को भी प्रज्वलित करना चाहिए।
एक अच्छा विद्यार्थी अपने अध्यापक और अपने मूल्यों को कभी नहीं भूलता
जब शिक्षा संस्कारों से जुड़ती है, तभी एक सशक्त समाज और श्रेष्ठ नागरिक का निर्माण होता है। उपायुक्त ने कहा कि हर अभिभावक अपने बच्चे को आगे बढ़ते देखना चाहता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि शिक्षा के साथ चरित्र निर्माण और संस्कार पर भी पूरा ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि एक अच्छा विद्यार्थी अपने अध्यापक और अपने मूल्यों को कभी नहीं भूलता। अभिभावकों और शिक्षकों को चाहिए कि वे बच्चों को अपनी संतान समझकर उन्हें सच्चाई, अनुशासन और करुणा का पाठ पढ़ाएं।

आधुनिक युग में बदलाव की आवश्यकता
उपायुक्त डॉ. वीरेन्द्र कुमार दहिया ने आगे कहा कि आधुनिक युग में बदलाव की आवश्यकता है, इसलिए शिक्षकों और अभिभावकों को भी समय के साथ स्वयं को अपडेट रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन ग्रंथ जैसे गीता, विष्णु पुराण आदि जीवन जीने की कला सिखाते हैं। बच्चों में इन ग्रंथों के प्रति रुचि जगाना हमारी जिम्मेदारी है। जिस रूप में हम बच्चों को 18 वर्ष की उम्र तक गढ़ते हैं, वे उसी रूप में समाज के स्तंभ बनते हैं।
सांस्कृतिक आयोजन बच्चों को अपनी जड़ों और संस्कृति से जोड़ते
उपायुक्त ने कहा कि इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन न केवल बच्चों को अपनी जड़ों और संस्कृति से जोड़ते हैं, बल्कि उन्हें तनावमुक्त, सकारात्मक और आत्मविश्वासी जीवन की दिशा में भी प्रेरित करते हैं। उपायुक्त डॉ दहिया ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन बच्चों में आत्मविश्वास, अनुशासन और भारतीय संस्कृति के प्रति गर्व की भावना को सशक्त करते हैं और यही है सच्ची शिक्षा की पहचान।
पारंपरिक नृत्य शैलियों से दर्शकों का मन मोह लिया
कार्यक्रम के पहले दिन विद्यार्थियों ने हरियाणा की लोक धुनों पर झूमर, फॉक और रागनी जैसी पारंपरिक नृत्य शैलियों से दर्शकों का मन मोह लिया। उपायुक्त डॉ. दहिया ने विभाग द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा तैयार किए गए पर्यावरण संरक्षण और हरियाणवी संस्कृति पर आधारित मॉडल व रंगोली की सराहना की। यह तीन दिवसीय राज्य स्तरीय महोत्सव न केवल लोक-संस्कृति का उत्सव है, बल्कि यह बच्चों में पर्यावरणीय चेतना, नैतिक शिक्षा और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति संवेदनशीलता जगाने का माध्यम भी बन रहा है। इस मौके पर जिला शिक्षा अधिकारी राकेश बूरा, डीईईओ सुभाष भारद्वाज, बीआरसी विक्रम सहरावत, गुलाब पांचाल आदि मौजूद रहे।

