Rshi Panchamee: ऋषि पंचमी आज, सप्तऋषियों की पूजा-अर्चना करने से जाने-अनजाने में किए पापों से मिलती है मुक्ति

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Rshi Panchamee: ऋषि पंचमी आज, सप्तऋषियों की पूजा-अर्चना करने से जाने-अनजाने में किए पापों से मिलती है मुक्ति
Rshi Panchamee: ऋषि पंचमी आज, सप्तऋषियों की पूजा-अर्चना करने से जाने-अनजाने में किए पापों से मिलती है मुक्ति

जानें पूजा मुहूर्त और विधि
Rshi Panchamee, (आज समाज), नई दिल्ली: ऋषिपंचमी का त्यौहार हिन्दू पंचांग के भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाया जाता है।य् ाह त्यौहार गणेश चतुर्थी के अगले दिन होता है। ऋषि पंचमी का व्रत सप्तऋषियों की पूजा को समर्पित है जो मुख्य रूप से महिलाएं द्वारा किया जाता है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी 27 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 28 अगस्त को शाम 5 बजकर 56 मिनट पर होगा। ऐसे में ऋषि पंचमी गुरुवार 28 अगस्त को मनाई जाएगी। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह भी मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिल सकती है।

पूजा मुहूर्त

ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक

ऋषि पंचमी का महत्व

ऋषि पंचमी का व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा रखा जाता है। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि यह व्रत महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान लगने वाले रजस्वला दोष से मुक्ति दिलाता है। इस दिन पर गंगा नदी में स्नान करने का भी विशेष महत्व माना गया है। इससे साधक के पाप तो नष्ट होते हैं, और उसे सप्तऋषियों का आशीर्वाद भी मिलता है। अगर आपके लिए गंगा स्नान संभव नहीं है, तो आप इस दिन घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इससे भी आपको शुभ फल मिलते हैं।

ऋषि पंचमी पूजा विधि

  • ऋषि पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं।
  • इसके बाद घर व मंदिर की साफ-सफाई करें। पूजा स्थान पर एक चौकी बिछाकर उसपर साफ लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
  • इसके बाद सप्तऋषि की तस्वीर स्थापित करें और कलश में गंगाजल भरकर रख लें।
  • आप चाहें तो अपने गुरु की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं।
    सप्तऋषियों को अर्ध्य दें और धूप-दीप दिखाएं।
  • इसके साथ ही पूजा में फल, फूल, घी, पंचामृत आदि अर्पित करें। सप्तऋषियों के मंत्रों का जप करें और अंत में अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
  • इसके बाद सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें और बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।

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