
- बीती रात को भारत पहुंचा राख का घना बादल
- 12,000 साल में पहली बार फटा ज्वालामुखी
Ethiopia Breaking News, (आज समाज), अदीस अबाबा: इथियोपिया में हेली गुब्बी (Hayli Gubbi ) ज्वालामुखी (volcano) फटा है और इसके कारण उठ रही घनी राख के बादलों ने आसपास के कई इलाकों को प्रभावित किया है। राख के भारत तक पहुंचने की आशंका जताई गई है जिसे देखते हुए एहतियातन कई फ्लाइट्स को कैंसिल कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि राख का घना बादल बीती रात को भारत पहुंचा और इसके खतरे को देखते हुए डायरेक्टरेट जनरल आफ सिविल एविएशन (DGCA) ने सभी भारतीय आपरेटरों के लिए एडवाइजारी की थी।
एयर इंडिया ने 11 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें कैंसिल कीं
डीजीसीए की एडवाइजारी के बाद एयर इंडिया ने कम से कम 11 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को कैंसिल कर दिया। इनमें से ज्यादातर उड़ानें नॉर्थ इंडिया में थीं। डीजीसीए ने एयरलाइंस से कहा है कि वे ज्वालामुखी की राख से प्रभावित इलाकों और फ्लाइट लेवल से सख्ती से बचें व लेटेस्ट एडवाइजरी के आधार पर फ्लाइट प्लानिंग, रूटिंग और फ्यूल से जुड़ी बातों को एडजस्ट करें। अकासा एयर ने राख के असर के बीच जेद्दा, कुवैत, अबू धाबी आने-जाने वाली सभी उड़ानें भी कैंसिल कर दी हैं। ये फ़्लाइट्स 24 और 25 नवंबर के लिए शेड्यूल थीं।
हरियाणा-पंजाब, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र के ऊपर से बही राख
राख का बादल 15,000-25,000 फीट से लेकर 45,000 फीट तक की ऊंचाई पर घूम रहा है। इसमें ज्वालामुखी की राख, सल्फर डाइआक्साइड और कांच व चट्टान के बारीक कण हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राख का गुबार रात करीब 11 बजे देश की राजधानी दिल्ली पहुंचा। इसके अलावा यह हरियाणा-पंजाब, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के ऊपर से बह गया। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार के मुताबिक, यह आगे चीन की ओर बढ़ेगा, और 14:00 जीएमटी (लोकल टाइम शाम 7:30 बजे) तक इसके भारत से निकलने की उम्मीद है।
शाम तक साफ हो जाएगा भारतीय आसमान
आईएमडी ने आज कहा कि राख पूरब की ओर बढ़ रही है और शाम 7:30 बजे तक भारतीय आसमान साफ होने की उम्मीद है। मौसम विभाग ने कहा, तेज हवाएं राख के बादल को इथियोपिया से लाल सागर के पार यमन और ओमान और आगे अरब सागर के ऊपर पश्चिमी और उत्तरी भारत की ओर ले गईं। सूत्रों के अनुसार उत्तरी इथियोपिया में 12,000 साल में पहली बार रविवार को हेली गुब्बी ज्वालामुखी फटा। इसके कारण राख का गुब्बार आसमान में 14 किलोमीटर तक ऊंचा और लाल सागर के पार यमन व ओमान की ओर चला गया।
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