Parliament Winter Session 2025, (आज समाज), नई दिल्ली: संसद के भीतर व बाहर मनरेगा का नाम बदलकर ‘वीबी जी रामजी’ (VB-G RAM G) किए जाने के बाद इसके लोकसभा में पारित होने को लेकर विपक्ष का विरोध प्रदर्शन जारी है। गुरुवार को लोकसभा में विकसित भारत-जी राम जी (ग्रामीण रोजगार और आजीविका मिशन) संशोधन विधेयक पास हो गया, जिसके विरोध में आज विपक्षी सांसदों ने संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सदन में प्रवेश की सीढ़ियों पर अपना विरोध जारी रखा।
बिल डिजाइन से ही राज्य विरोधी और गांव विरोधी : राहुल
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी जर्मनी दौरे पर हैं और उन्होंने भी बिल के खिलाफ आवाज उठाई व दावा किया कि यह डिजाइन से ही राज्य विरोधी और गांव विरोधी है। राहुल ने एक पोस्ट में आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने एक ही दिन में गुरुवार को मनरेगा के बीस साल खत्म कर दिए। उन्होंने कहा, ‘वीबी जी रामजी’ मनरेगा का सुधार नहीं है। बल्कि यह अधिकार-आधारित, मांग-आधारित गारंटी को खत्म कर देता है और इसे एक राशन वाली योजना में बदल देता है, जिसे दिल्ली से नियंत्रित किया जाता है।
मनरेगा ने ग्रामीण मजदूर को दी मोलभाव करने की शक्ति
कांग्रेस नेता राहुल ने कहा, मनरेगा ने ग्रामीण मजदूर को मोलभाव करने की शक्ति दी। असली विकल्पों के साथ, शोषण और मजबूरी में पलायन कम हुआ, मजदूरी बढ़ी, काम करने की स्थिति में सुधार हुआ, और साथ ही ग्रामीण बुनियादी ढांचे का निर्माण और पुनरुद्धार हुआ। यह वही ताकत है जिसे यह सरकार तोड़ना चाहती है। उन्होंने कहा, काम को सीमित करके और इसे अस्वीकार करने के और तरीके बनाकर, ‘वीबी जी रामजी’ उस एकमात्र साधन को कमजोर करता है जो ग्रामीण गरीबों के पास था।
कोविड के दौरान मनरेगा का मतलब…
राहुल ने कहा, हमने देखा कि कोविड के दौरान मनरेगा का क्या मतलब था। जब अर्थव्यवस्था बंद हो गई और आजीविका खत्म हो गई, तो इसने (मनरेगा) करोड़ों लोगों को भूख और कर्ज में डूबने से बचाया। कोरोना के संकट में इसने महिलाओं की सबसे ज्यादा मदद की। साल दर साल, महिलाओं ने आधे से ज्यादा मानव-दिवस का योगदान दिया है। जब आप किसी रोजगार कार्यक्रम को राशन करते हैं, तो महिलाएं, दलित, आदिवासी, भूमिहीन मजदूर और सबसे गरीब ओबीसी समुदाय सबसे पहले बाहर हो जाते हैं।
संसद में जबरदस्ती पास कर दिया गया विधेयक
राहुल गांधी ने कहा, सबसे बड़ी बात यह है कि इस कानून को बिना ठीक से जांच-पड़ताल के संसद में जबरदस्ती पास कर दिया गया। बिल को स्थायी समिति को भेजने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया गया। एक ऐसा कानून जो ग्रामीण सामाजिक अनुबंध को बदलता है, करोड़ों मजदूरों को प्रभावित करता है, उसे कभी भी गंभीर समिति जांच, विशेषज्ञ परामर्श और सार्वजनिक सुनवाई के बिना जबरदस्ती पास नहीं किया जाना चाहिए।
ग्रामीण गरीबों की आखिरी सुरक्षा कवच को नहीं होने देंगे खत्म
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य साफ हैं, श्रम को कमजोर करना, ग्रामीण भारत की ताकत को कमजोर करना, खासकर दलितों, ओबीसी और आदिवासियों की, शक्ति का केंद्रीकरण करना, और फिर नारों को सुधार के रूप में बेचना। उन्होंने कहा, मनरेगा दुनिया के सबसे सफल गरीबी कम करने और सशक्तिकरण कार्यक्रमों में से एक है। हम इस सरकार को ग्रामीण गरीबों की आखिरी सुरक्षा कवच को खत्म नहीं करने देंगे। हम इस कदम को हराने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह कानून वापस लिया जाए, मजदूरों, पंचायतों और राज्यों के साथ खड़े रहेंगे और देशव्यापी मोर्चा बनाएंगे।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ थी मनरेगा : प्रियंका गांधी
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा, यह बिल सबसे गरीब लोगों के लिए बहुत नुकसानदायक होने वाला है क्योंकि मूल मनरेगा योजना के लिए केंद्र सरकार 90 प्रतिशत फंड देती थी। मनरेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ थी और उन लोगों के लिए यह सबसे बड़ा सहारा थी जो बहुत गरीब हैं और जिन्हें रोजगार पाने में मुश्किल होती थी। 20 सालों से, यह उन अच्छी योजनाओं में से एक रही है जो चली है और गरीब लोगों की मदद की है। खासकर उन लोगों की जिनके पास कुछ नहीं है। अब, बिल के इस नए रूप में, जब आप केंद्र से फंड में इतनी कटौती करते हैं, तो राज्य इसे वहन नहीं कर पाएंगे। इसका मतलब है कि यह योजना खत्म हो जाएगी और यह बहुत नुकसानदायक होने वाला है।
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