
डिजिटल तस्वीरों को डेटा सेंटर में रखा जाता है सुरक्षित
Delete Old Photos, (आज समाज), नई दिल्ली: खबर पढ़ने में थोड़ी अजीब लग सकती है। मगर यह सच है कि ब्रिटेन की सरकार ने पानी बचाने के लिए एक अनोखी सलाह दी है। सरकार का कहना है कि अगर पानी की बर्बादी रोकनी है तो पुरानी डिजिटल तस्वीरों को डिलीट करना पड़ेगा।
असल में हमारी फोटो, वीडियो, ईमेल, यह सब किसी न किसी डेटा सेंटर में स्टोर होते हैं। ये डेटा सेंटर बड़े-बड़े सर्वरों से भरे होते हैं, जो लगातार गर्म होते हैं और इन्हें ठंडा करने के लिए पानी या बिजली से चलने वाली कूलिंग टेक्नॉलजी का इस्तेमाल होता है। इसलिए सरकार ने यह आदेश दिए है कि डिजिटल तस्वीरों को डिलीट किया जाए।
1 मेगावाट के डेटा सेंटर में हर होती है करोड़ों लीटर पानी की खपत
आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े शोधकर्ताओं की एक स्टडी के अनुसार, सिर्फ 1 मेगावाट का एक छोटा डेटा सेंटर भी हर साल करोड़ों लीटर पानी सिर्फ कूलिंग के लिए इस्तेमाल कर सकता है। हालांकि, यह आंकड़ा जगह और तकनीक के हिसाब से बदल सकता है।
रीसाइकल्ड पानी का इस्तेमाल करने लगी कंपनियां
कुछ डेटा सेंटर अब पीने योग्य नहीं या रीसाइकल्ड पानी का इस्तेमाल करने लगे हैं, ताकि पीने के पानी पर दबाव न पड़े। वहीं, कुछ कंपनियां एयर-कूलिंग या इवैपोरेटिव कूलिंग टेक्नॉलजी अपना रही हैं, जो मौसम और स्थानीय नियमों पर निर्भर करती हैं।
गूगल भी रीसाइकल्ड वेस्टवॉटर का कर रहा उपयोग
बिग टेक कंपनियां इस वॉटर फुटप्रिंट को घटाने के लिए कई इनोवेशन कर रही हैं। गूगल ने अमेरिका के जॉर्जिया राज्य के डगलस काउंटी में रीसाइकल्ड वेस्टवॉटर से डेटा सेंटर कूल करने का प्रयोग किया। माइक्रोसॉफ्ट ने तो पानी की बचत के लिए अंडरवॉटर डेटा सेंटर तक टेस्ट किया, जिसमें समुद्र का ठंडा पानी सर्वरों को ठंडा करने में मदद करता है।
बढ़ रही डेटा प्रोसेसिंग की जरूरत
एआई और मशीन लर्निंग की बढ़ती डिमांड के साथ डेटा प्रोसेसिंग की जरूरत भी तेजी से बढ़ रही है। इसका मतलब है कि अगर डिजाइन में बदलाव न किए जाएं, तो आने वाले समय में बिजली और पानी दोनों की खपत और बढ़ सकती है।