Shivraj Singh On Stubble Management : पंजाब ने दिखाया देश को रास्ता, रणसिंह कलां से देश के किसानों को संदेश

0
61
Shivraj Singh Chouhan On Stubble Management : पंजाब ने दिखाया देश को रास्ता, रणसिंह कलां से देश के किसानों को संदेश
Shivraj Singh Chouhan On Stubble Management : पंजाब ने दिखाया देश को रास्ता, रणसिंह कलां से देश के किसानों को संदेश
  • दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण, वहीं रणसिंह कला गांव मॉडल से राहत की बयार
  • रणसिंह कलां जैसे गांवों ने दिखा दिया है कि वैज्ञानिक प्रबंधन के जरिये बिना आग लगाए भी खेतों की सफाई और अगली फसल की तैयारी संभव

Shivraj Singh Chouhan On Stubble Management, (आज समाज), नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज पंजाब के मोगा जिले के रणसिंह कलां गांव में किसानों और ग्रामीणों के साथ संवाद किया। उन्होंने पराली नहीं जलाने, फसल अवशेष प्रबंधन, कम रासायनिक खाद के उपयोग और पानी-बचत वाली खेती के लिए गांव की पंचायत और किसानों को बधाई दी तथा इसे पूरे देश के लिए प्रेरक आदर्श बताया। देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है, हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर पर है, वहीं उत्तरी भारत में पराली जलाने से उठने वाला धुआं भी प्रदूषण बढ़ाने की एक बड़ी वजह रहा है। ऐसे में पंजाब के रणसिंह कलां गांव का पराली न जलाने वाला प्रयोग एक सकारात्मक बदलाव की बयार के रूप में देखा जा रहा है।

Shivraj Singh Chouhan On Stubble Management : पंजाब ने दिखाया देश को रास्ता, रणसिंह कलां से देश के किसानों को संदेश

पराली जलाने पर रोक और पंजाब की नई पहचान

पराली प्रबंधन पर हितधारकों के साथ संवाद के दौरान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं ने पूरे देश को चिंतित किया, क्योंकि इससे खेत तो साफ दिखता था लेकिन मित्र कीट नष्ट हो जाते थे और गंभीर वायु प्रदूषण पैदा होता था। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है और रणसिंह कलां जैसे गांवों ने दिखा दिया है कि वैज्ञानिक प्रबंधन के जरिये बिना आग लगाए भी खेतों की सफाई और अगली फसल की तैयारी संभव है। शिवराज सिंह ने कहा कि पंजाब ने पराली प्रबंधन का ऐसा मॉडल विकसित किया है, जिसे पूरे देश में ले जाया जाएगा।

रणसिंह कलां: छह साल से बिना पराली जलाए खेती

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने बताया कि रणसिंह कलां गांव के किसान पिछले 6 वर्षों से पराली नहीं जला रहे हैं, बल्कि फसल अवशेष को खेत में मिलाकर डायरेक्ट सीडिंग और हैप्पी सीडर जैसी तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। इससे मिट्टी में कार्बन और जैविक पदार्थ बढ़ रहे हैं, रासायनिक उर्वरकों की खपत घट रही है और उत्पादन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ रहा है। उन्होंने सरपंच श्री प्रीत इंदरपाल सिंह और पूरे गांव को बधाई देते हुए कहा कि यह गांव देशभर के उन क्षेत्रों के लिए संदेश दे रहा है, जहां अभी भी पराली जलाई जाती है, कि अवशेष को खाद और मल्चिंग के रूप में उपयोग कर पानी, डीज़ल और खाद बचाते हुए भी अच्छी पैदावार ली जा सकती है।

किसानों के साथ खेत पर तकनीकी संवाद

चौहान ने खेत में किसान गोपाल सिंह के साथ खड़े होकर सीधी बिजाई वाले गेहूं की फसल का निरीक्षण किया और जर्मिनेशन, जड़ों (क्राउन रूट) और सिंचाई की जरूरत के वैज्ञानिक पक्ष को सरल भाषा में समझाया। उन्होंने बताया कि फसल की शुरुआती अवस्था में क्राउन रूट विकसित होने तक अतिरिक्त सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ी और एक माह तक बिना पलेवा के भी फसल स्वस्थ खड़ी है, जिससे पानी और डीज़ल की महत्वपूर्ण बचत संभव हुई है।

मल्चिंग, मिट्टी की उर्वरता और लागत में कमी

संवाद के दौरान श्री चौहान ने समझाया कि पराली को जलाने की बजाय खेत में मिलाने से प्राकृतिक मल्चिंग हो जाती है, जिससे मिट्टी का तापमान नियंत्रित रहता है, नमी संरक्षित होती है और खरपतवार कम उगते हैं। इससे किसानों को निराई-गुड़ाई, सिंचाई और रासायनिक दवाओं पर होने वाला खर्च घटता है तथा मिट्टी का ऑर्गेनिक कार्बन स्तर सुधरने से पैदावार की स्थिरता बढ़ती है। उन्होंने कहा कि पंजाब के इस प्रयोग से स्पष्ट है कि पर्यावरण की रक्षा और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लक्ष्य साथ-साथ चल सकते हैं, बशर्ते खेत स्तर पर वैज्ञानिक पद्धतियां ईमानदारी से अपनाई जाएं और पंचायत तथा समुदाय सक्रिय भूमिका निभाएं।

तिलहन को बढ़ावा और आयात पर निर्भरता घटाने का आह्वान

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने किसान गुरप्रीत सहित ग्रामीणों के सुझावों का उल्लेख करते हुए कहा कि तिलहन फसलों जैसे सरसों को अपनाने से किसान न केवल अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं बल्कि देश को खाद्य तेल के आयात पर निर्भरता से भी मुक्त करने में योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी देश को बड़ी मात्रा में खाद्य तेल बाहर से मंगाना पड़ता है, जिससे कीमती विदेशी मुद्रा बाहर जाती है, जबकि यदि खेती के एक हिस्से में तिलहन बढ़ाए जाएं तो राष्ट्रीय जरूरतें घरेलू उत्पादन से पूरी की जा सकती हैं।

पंजाब के मॉडल गांव और जनभागीदारी की सराहना

चौहान ने रणसिंह कलां की पंचायत की सराहना करते हुए कहा कि इस गांव ने पर्यावरण-संवेदनशील खेती, फसल अवशेष प्रबंधन, नशामुक्ति, फसल विविधिकरण और सामुदायिक भागीदारी के क्षेत्र में नए मानक स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि पंचायत द्वारा पराली नहीं जलाने के लिए प्रोत्साहन, पानी बचाने वाली फसलों को बढ़ावा और ग्राम स्तर पर सामूहिक निर्णयों ने इसे वास्तविक अर्थों में “मॉडल गांव” बना दिया है। मंत्री चौहान ने गांववासियों के आतिथ्य का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां की देसी मक्के की रोटी केवल भोजन नहीं, बल्कि पंजाब और रणसिंह कलां के स्नेह और संस्कारों की प्रतीक है, और वे इस आत्मीयता के लिए पंजाब के लोगों के आभारी हैं।

किसानों से सीधा संवाद और नीतिगत संकल्प

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि वास्तविक विकास फील्ड में जाकर, खेतों पर खड़े होकर और किसानों से सीधे बातचीत कर उनकी समस्याएं और सुझाव समझने से ही संभव है, इसलिए वे लगातार विभिन्न राज्यों के गांवों का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि पंजाब के किसानों और रणसिंह कलां जैसे गांवों से मिले फीडबैक के आधार पर केंद्र सरकार कृषि और ग्रामीण विकास की नीतियों को और अधिक परिणामोन्मुख, स्थानीय जरूरतों के अनुरूप और पर्यावरण हितैषी बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाती रहेगी, ताकि खेती लाभकारी हो और गांव मजबूत बनें।

ये भी पढ़ें:  Minister Anil Vij On Commonwealth Games : विज बोले – कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी भारत के लिए गौरव का क्षण