RSS Centenary: संघ प्रमुख मोहन भागवत का स्वदेशी और आत्मनिर्भरता पर जोर

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RSS Centenary
दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते संघ प्रमुख मोहन भागवत।
  • ‘हिंदुत्व’ की परिभाषा पर भी विस्तार से की चर्चा 

100 Years Of  RSS, (आज समाज), नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो गए हैं और इस उपलक्ष्य में देश की राजधानी दिल्ली में तीन दिवसीय संगोष्ठी आयोजित की गई है। दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम का बुधवार को दूसरा दिन था और इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारत पर लागू किए गए अतिरिक्त अमेरिकी टैरिफ व आतंकवाद सहित अन्य विषयों पर अपनी बात रखी। उन्होंने ‘हिंदुत्व’ की परिभाषा पर भी विस्तार से चर्चा की।

ट्रंप टैरिफ के बीच देश को आत्मनिर्भर होने का मंत्र 

भारत पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लागू किए जाने के बीच मोहन भागवत अपने संबोधन में स्वदेश और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, देश को आत्मनिर्भर होना होगा। साथ ही आरएसएस चीफ ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार दबाव में नहीं बल्कि सहमति से होना चाहिए।

हिंदुस्तान का जीवन मिशन विश्व कल्याण

मोहन भागवत ने क्लियर किया कि हिंदुस्तान का जीवन मिशन विश्व कल्याण है और भारत को आत्मनिर्भर बनकर ही दुनिया में अपना योगदान देना है। उन्होंने कहा कि विकास की दौड़ में आज विश्व ने भीतर नजर रखना छोड़ दिया है। संघ प्रमुख ने कहा, यदि अपने अंदर खोज होगी तो इससे वो खुशी मिलेगी जिसका कभी अंत नहीं होगा। आरएसएस प्रमुख ने कहा, मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य यही है और इसी से पूरे विश्व में सौहार्द एवं शांति आएगी।

हिंदुत्व सभी को साथ लेकर चलने वाली सोच

‘हिंदुत्व’ का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुत्व किसी एक समुदाय अथवा संप्रदाय की विचारधारा नहीं है, बल्कि यह सत्य व प्रेम पर आधारित होकर सभी को साथ लेकर चलने वाली सोच है। उन्होंने कहा, यदि सब लोग यही मार्ग अख्तिया करें तो दुनिया के बहुत जल्द संघर्ष खत्म हो जाएंगे। इसका नतीजा यह होगा कि विश्व भर में सुख- और चैन का माहौल बनेगा।

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