आज के दिन भगवान शिव ने किया था त्रिपुरासुर राक्षस का वध
Dev Deepawali, (आज समाज), नई दिल्ली: हिंदू धर्म में दीपावली के साथ-साथ देव दिवाली का भी विशेष महत्व है। इस त्योहार को देवताओं की दीपावली के रूप में मनाया जाता है। दीवाली के ठीक 15 दिन बाद देव दीवाली का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था।
इस दिन सभी देवता काशी में उतरते हैं और दीवाली मनाते हैं। कहते हैं कि इस भगवान शिव की पूजा, गंगा में स्नान और दीप दान करने से हर इच्छा पूरी होती है और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
देव दीपावली तिथि
हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देव दीपावली मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर, मंगलवार को रात 10 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 5 नवंबर, बुधवार को शाम 06 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में इस साल देव दीपावली का त्योहार 5 नवंबर को मनाया जाएगा।
दीप दान का महत्व
देव दीपावली के दिन दीप दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन सबसे पहले घर के मंदिर में दीपक जलाकर भगवान का आशीर्वाद लें। इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव के मंदिर में दीप जलाएं। इस दिन पवित्र नदियों के किनारे दीपदान करना अत्यंत पुण्य दायी माना गया है। इसके बाद अपने गुरु या किसी ब्राह्मण के घर दीप जलाने से ज्ञान और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा तिथि पर पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाना भी बहुत शुभ माना जाता है।
पूजा विधि
- पूजा करने से पहले गंगा नदी या किसी पवित्र जल में स्नान करें।
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद पूजा स्थल को अच्छे से साफ कर लें।
घर के मंदिर या आंगन में दीप जलाएं। - भगवान शिव और गंगा माता की पूजा करें।
- शिवलिंग पर जल, दूध, और बेल पत्र अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान शिव की आरती करें।
- मां गंगा को दीप अर्पित करें और आरती करें।
- भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अर्पित करें।
- भगवान विष्णु की आरती करें और मंत्र का जाप करें।
- भगवान शिव, मां गंगा और भगवान विष्णु को भोग अर्पित करें।
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