रोजाना पूजा-पाठ से घर में बना रहता है सुख-समृद्धि का माहौल
Pooja Niyam, (आज समाज), नई दिल्ली: सनातन धर्म में पूजा-पाठ को ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करने का एक माध्यम माना गया है। रोजाना पूजा-पाठ से जीवन में अच्छे परिणाम मिलते हैं। घरों में सुबह-शाम पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इससे घर में एक सकारात्मक माहौल बना रहता है और नकारात्मकता दूर होती है। साथ ही इससे देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं और साधक व उसके परिवार पर अपनी दया दृष्टि बनाए रखते हैं।
लेकिन यदि आप पूजा-पाठ के दौरान इस वास्तु नियमों की अनदेखी करते हैं, तो इससे आपको नुकसान भी हो सकता है। ऐसे में आज हम आपको पूजा-पाठ से संबंधित कुछ वास्तु नियम बताने जा रहे हैं जिनका ध्यान रखने से आपको पूजा-पाठ का पूर्ण फल मिल सकता है।
उत्तर-पूर्व या फिर पूर्व दिशा में होना चाहिए मंदिर
वास्तु शास्त्र में इस बात का भी खास महत्व माना गया है कि आपका मंदिर किस दिशा में है। वास्तु में मंदिर के लिए उत्तर-पूर्व या फिर पूर्व दिशा को सही माना गया है। इसी के साथ इस बात का भी विशेष रूप से ध्यान रखें कि मंदिर में भगवान की मूर्ति का मुख कभी भी दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए।
पूजा करते समय पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए मुख
कई लोग खड़े होकर पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन वास्तु शास्त्र में माना गया है कि यदि आप शांति वाले स्थान पर बैठकर पूजा करते हैं, तो इसका अधिक फल मिलता है। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
घी या सरसों के तेल दीपक जरूर जलाए
पूजा के दौरान दीपक भी जरूरी रूप से जलाया जाता है। ऐसे में रोजाना आपको पूजा के दौरान घी या सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। यदि आपका दीपक धातु से बना है, तो रोजाना इसकी अच्छे से साफ-सफाई करें।
इन बातों का भी रखें ध्यान
- मंदिर घर का एक पवित्र स्थान होता है। ऐसे में मंदिर की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
- मंदिर के पास कूड़ेदान, जूते-चप्पल आदि रखने से बचें।
- इसी के साथ मंदिर को कभी भी शौचालय के पास या फिर सीढ़ियों के नीचे नहीं बनवाना चाहिए।
- वास्तु की दृष्टि से ऐसा करना बिल्कुल भी सही नहीं माना गया।
- हमेशा स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनकर ही पूजा शुरू करनी चाहिए।