International Geeta Mahotsav Festival 2025 : अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2025,श्रीमद्भगवदगीता में हर समस्या और उलझन का है हल

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International Gita Mahotsav Festival-2025, Srimad Bhagavad Gita has the solution to every problem and confusion.
श्रीमद भागवत गीता पर आईजीयु में आयोजित सेमिनार में विचार रखते वक्ता।
  • श्रीमद्भगवदगीता पर आईजीयू में सेमिनार का हुआ आयोजन

Rewari News(आज समाज नेटवर्क) रेवाड़ी। अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2025 के अंतर्गत इंदिरा गांधी विश्वविद्यायल के स्वामी विवेकानंद सभागार में शुक्रवार को श्रीमद्भगवदगीता पर सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में आईजीयू के रसायन विभाग के अध्यक्ष एवं डीएसडब्ल्यू प्रो. कर्ण सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि दीप प्रज्ज्वलित कर इस सेमिनार का शुभारंभ किया। सेमिनार में गीता के ज्ञान पर आधारित विभिन्न विषयों पर विद्वानों ने अपने-अपने विचार रखते हुए विद्यार्थियों को जीवन में इन्हें आत्मसात करने के लिए प्रोत्साहित किया।

सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग, आईजीयू प्रबंधन तथा जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित किए गए इस सेमिनार में प्रो. कर्ण सिंह ने कहा कि विश्व के सबसे प्रमुख धार्मिक गं्रथ श्रीमद्भगवदगीता में संपूर्ण जीवन का सार छुपा हुआ है। गीता में व्यक्ति के जीवन की हर समस्या और उलझन का हल सम्मिलित है। उन्होंने कहा कि गीता में सर्वधर्म की व्याख्या की गई है। सर्वधर्म का अर्थ स्वयं का मार्ग तैयार कर जीवन में आगे बढऩे से है। जीवन में आत्मचिंतन करना बहुत जरूरी होता है। वहीं कभी भी किसी से तुलना नहीं करनी चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से श्रीमद्भगवदगीता से ज्ञान लेते हुए इसे अपने जीवन में आत्मसात करने का आह्वïान किया।

इंद्रियों पर काबू पाने का ज्ञान गीता में ही निहित : बीके उर्मिल

इस अवसर पर ब्रह्मïकुमारी राजयोगिनी उर्मिल ने कहा कि मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या इंद्रियों का नियंत्रण नहीं होना है और वह अपनी इंद्रियो की जीवनभर गुलामी करता है। गीता हमें सर्वबंधनों से मुक्ति का मार्ग दिखाती है। अपनी इंद्रियों पर काबू पाने का ज्ञान गीता में ही निहित है। उन्होंने कहा कि मंै कौन हूं, व्यक्ति को जीवनभर यही नहीं पता चल पाता है और वह अनेक आवरण धारण करते हुए भ्रमित होता रहता है। गीता का ज्ञान हमें सही मायनों में जीवन के हर पहलू से अवगत कराता है। उन्होंने बताया कि हमारा मन बहुत चंचल होता है। इसमें हर समय कोई न कोई विचार आते रहते हैं। मन पर काबू पाने के लिए हमें महान ग्रंथ श्रीमद्भगवदगीता को जीवन में आत्मसात करना होगा। गीता ही हमारे मन को सही मायनों में संवारती है।

अर्जुन बनो, चुनौतियों का डटकर करों मुकाबला :डा. ज्योत्स्ना

कार्यवाहक प्राचार्य डा. ज्योत्सना यादव ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि हमें जीवन में अर्जुन की भूमिका निभाते हुए चुनौतियों का डटकर मुकाबला करना चाहिए। हम सभी के सबसे बड़े दुश्मन में क्रोध, ईष्र्या और भय है। यदि इन सभी पर काबू कर लें तो जीवन में कोई भी सफलता अर्जित की जा सकती है। हम क्रोध में गलत निर्णय ले लेते है। वहीं भय कभी भी आगे नहीं बढऩे देता है और ईष्र्या दूसरों से पीछे करती है। मन के विकारों को नियंत्रित करने के लिए गीता ही मार्गदर्शन का एकमात्र रास्ता है। गीता के हर श्लोक में जीवन के विभिन्न पहलूओं और चुनौतियों से सामना करने के बारे में बताया गया है। उन्होंने विद्यार्थियों से गीता को जरूर गहनता से पढ़ते हुए सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

गीता जीवन का पथ प्रदर्शक प्रकाश

सेमिनार में साहित्यकार सत्यवीर नाहडिय़ा, विवेकानंद समिति से अनिल कुमार, जियो गीता से महिला संगठन प्रमुख मीनाक्षी अरोड़ा, स्टेट अवॉर्डी शिक्षक विजेंद्र यादव, डा.धर्मवीर आदि विद्वानों ने गीता: जीवन प्रबंधन का शास्त्र, जीवन को सरल, संतुलित और उद्देश्यपूर्ण बनाने की कला, तनाव प्रबंधन, कर्म योग द्वारा तनाव से मुक्ति एवं मानसिक स्थिरता, वर्क लाइफ बैलेंस, संतुलन ही योग है- कर्तव्य और जीवन के बीच सामंस्य, युवा शक्ति और गीता युवाओं के लिए आत्मविश्वास, लक्ष्य-स्पष्टïता और सकारात्मक दृष्टिï, निर्णय क्षमता व स्पष्टï सोच, जीवन की उलझनों में सही दिशा चुनने की कला, भावानात्मक बुद्धिमता-क्रोध, भय, ईष्र्या पर नियंत्रण और मन की शक्ति, समत्व योग सफलता-असफलता दोनों में समान रहने की महान शिक्षा, आंतरिक शांति व आध्यात्मिक उन्नति, मन को शांत, स्थिर और प्रकाशमान बनाने का मार्ग आदि पर विचार रखते हुए ज्ञानवर्धक जानकारी दी।

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