मौजूद वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सेवा और विनिर्माण में तेजी
Business News (आज समाज), बिजनेस डेस्क : भारतीय अर्थव्यवस्था को टैरिफ के नकारात्मक प्रभाव से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने बीते सितंबर में जीएसटी में जरूरी सुधार करते हुए इसकी नई दरें लागू की थी। अब एसबीआई द्वारा किए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि सरकार के इस प्रयास के सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहे हैं और निवेश गतिविधियों में तेजी, ग्रामीण खपत में सुधार और जीएसटी सुधार के प्रभाव से अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवा और विनिर्माण दोनों क्षेत्रों में तेजी के साथ-साथ संरचनात्मक सुधारों से भी विकास को बल मिल रहा है। इससे मांग की स्थिति मजबूत हुई है। इससे वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर लगभग 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
इन क्षेत्रों में दिखी उल्लेखनीय तेजी
रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि कृषि, उद्योग और सेवाओं के संकेतकों में उल्लेखनीय तेजी देखी गई है। उपभोग और मांग में वृद्धि दशार्ने वाले प्रमुख संकेतकों की हिस्सेदारी दूसरी तिमाही में बढ़कर 83 प्रतिशत हो गई। वहीं पहली तिमाही में यह 70 प्रतिशत थी, जो आर्थिक गतिविधियों में व्यापक सुधार का संकेत है।
जीएसटी संग्रह में भी आई तेजी
राजकोषीय मोर्चे पर, रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2025 के लिए सकल घरेलू जीएसटी संग्रह (अक्तूबर 2025 रिटर्न से संबंधित) लगभग 1.49 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। यह साल-दर-साल 6.8 प्रतिशत की वृद्धि दशार्ता है। आयात पर संग्रहित आईजीएसटी और उपकर से प्राप्त 51,000 करोड़ रुपये को शामिल करते हुए, नवंबर माह के लिए कुल जीएसटी प्राप्तियां 2.0 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकती हैं।
बैंक ने इसका श्रेय त्योहारी सीजन की चरम मांग, कम जीएसटी दरों और बेहतर अनुपालन को दिया है। साथ ही कहा कि अधिकांश राज्यों में सकारात्मक लाभ होने की संभावना है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जीएसटी को तर्कसंगत बनाने के बाद सितंबर और अक्तूबर 2025 के त्योहारी महीनों के दौरान खपत में भारी वृद्धि होगी।
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