Farmers Protest : सरकार की हठ्धर्मिता का करारा जवाब देंगे किसान

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Farmers will give a befitting reply to the government's stubbornness.
रोष करते किसान ।

Charkhi Dadri News(आज समाज नेटवर्क) बाढड़ा। केन्द्र व प्रदेश में पहली बार इतनी गुंगी बहरी सरकार है कि किसान अपने हितों के लिए सड़कों पर आंदोलन करने को मजबूर है सरकार जनता के पैसे को उत्सवों पर उड़ा रही है। किसान ने केन्द्र से टक्कर लेकर साबित कर दिया कि अन्नदाता अपने हक के लिए अंतिम सांस तक लडऩे के लिए तैयार है। यह बात किसान मजदूर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष वेद धनासरी ने कस्बे के बिजली कार्यालय परिसर में श्योराण खाप पच्चीस अध्यक्ष बिजेन्द्र सिंह बेरला की अध्यक्षता में 138 वें दिन के संचालित धरने को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि किसानों के हकों व बाढड़ा के आत्म स्वाभिमान की रक्षा के लिए संघर्ष को कभी कमजोर नहीं रहने दिया गया है जो भविष्य में और मजबूत होगा। बड़ा दुर्भाग्य है कि किसान को खाद बीज से लेकर फसल बिक्री या मुआवजे के लिए भुखा रहकर धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है वहीं व्यापारियों का करोड़ों अरबों रुपयों का जुर्माना एक कलम से माफ कर दिया जाता है।

आज देश व प्रदेश की कृषि व्यवस्था पर कारपोरेट घरानों का वर्चस्व बढ रहा है

किसान की पत्नि को लाडो लक्ष्मी में शामिल कर दिया तो उनकी कपास, बाजरा की फसलों के भावों में कमी कर दी जिससे सरकार के खजाने पर कोई बोझ नहीं पड़ा बल्कि सरकार को करोड़ों की बचत जरुर हुई है। आज जनता भाजपा सरकार की कलाबाजी को पूरी तरह समझ चुकी है लेकिन यह सब उपेक्षा का जवाब अब चुनाव में ही ले पाऐंगे। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनी हुई सरकारें जब कर्तव्य पथ से भटक जाती हैं तो किसान, नौजवान, कर्मचारी व्यापारी को अपने हकों के लिए सड़कों पर उतरना पड़ता है। आज देश व प्रदेश की कृषि व्यवस्था पर कारपोरेट घरानों का वर्चस्व बढ रहा है।

सरकार के इस फैसले को देश भर के कपास पैदा करने वाले किसानों को उजाडऩे वाला फैसला बताया है

आज किसान सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है क्योंकी भाजपा सरकार में फसल बिजाई के समय खाद बीज व उत्पादन होने पर एमएसपी नहीं मिल रही है और प्राकृतिक आपदा होने पर किसान को नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा नहीं मिल रहा है। खरीफ सीजन में बरसात की अधिकता को प्राकृतिक आपदा घोषित कर फसल बर्बाद वाले किसानों को प्रति एकड़ साठ हजार की मदद करनी चाहिए ताकि इस बड़ी आपदा से उभरने में सहयोग मिल सके।

मंत्रालय ने कपास पर लगने वाले 11 प्रतिशत आयात शुल्क को तत्काल प्रभाव से खत्म करने का निर्णय किया है जो कृषि क्षेत्र के लिए बड़ा झटका है। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार के इस फैसले को देश भर के कपास पैदा करने वाले किसानों को उजाडऩे वाला फैसला बताया है। आयात शुल्क समाप्त होने से कपास की घरेलू कीमत पर सीधा असर पड़ेगा। बाहर से कपास सस्ती कीमतों पर बाजार में आएगी जिससे हमारे कपास की कीमतें निश्चित रूप से गिरेंगी और किसानों को और अधिक संकट और कर्ज का सामना करना पड़ेगा। आज के धरने पर अनेक किसान संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे।

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