Charkhi Dadri News : खरीफ फसल में किसान प्राकृतिक खेती को बढ़ावा

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Farmers promote natural farming in Kharif crop
घनामृत का छिडक़ाव करता किसान।

(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। खरीफ की फसल की तैयारी कर रहे किसानों को पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति अपनी जागरूकता दिखाते हुए ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना चाहिए। यह बात क्षेत्र के दगड़ौली गांव के प्राकृतिक कृषक जयभगवान ने खरीफ की फसल के लिए खेत में घनामृत का छिडक़ाव करते हुए कही। उन्होंने कहा कि घनामृत, प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाला एक महत्वपूर्ण घटक है।

इस पद्धति में, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से बचा जाता है, जिससे लागत कम होती है और पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है। घनामृत एक प्रकार का जैविक खाद है जो प्राकृतिक खेती में उपयोग होता है।
इस अवसर पर सर्वहित साधना न्यास के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने कहा कि प्राकृतिक कृषि एक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल खेती का तरीका है, और घनामृत इस पद्धति का एक महत्वपूर्ण घटक है जो प्राकृतिक रूप से मिट्टी को उपजाऊ बनाता है और पौधों के विकास में मदद करता है। इसके इस्तेमाल से भूमि की प्राकृतिक उर्वरा शक्ति बढ़ती है। इससे भूमि में कार्बन कंटेट बढ़ते हैं, जिससे मृदा उपजाऊ बनती हैं। जीवामृत और घनामृत को एक फसल में दो से तीन बार डालने से भूमि को पोषक तत्व मिल जाएंगे और फसल अच्छा उत्पादन देगी।

वर्तमान में फल व सब्जियों को तैयार करने में यूरिया व कैमिकल का बे-हताशा प्रयोग हो रहा है। अधिक उत्पादन के चक्कर में किसान खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में लोगों का बिना खाद दवाइयों के फल व सब्जियों को खाने की तरफ रुझान बढ़ रहा है। शहरी क्षेत्रों में लोग किचन गार्डनिंग करते हैं, लेकिन कई बार उनको अपेक्षित उत्पादन नहीं मिलता है। जीवामृत व घनामृत की विधि किसानों के साथ-साथ किचन गार्डनिंग करने वालों के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होगी।

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