- सिख धर्म और समाज सेवा में योगदान के लिए मिला विशेष सम्मान
Chandigarh News(आज समाज नेटवर्क)डेराबस्सी। चंडीगढ़ के टैगोर थिएटर में आयोजित एक भव्य समारोह में ग्लोबल पंजाबी एसोसिएशन की ओर से हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को “शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह अवॉर्ड” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें सिख धर्म, सामाजिक एकता और समाज कल्याण के क्षेत्र में उनके योगदान और दूरदर्शी नेतृत्व के लिए दिया गया।
समारोह में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड सदस्य एवं पूर्व अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष डॉ. इकबाल सिंह लालपुरा की पुस्तक ‘तिलक जंझू का राखा’ (जीवन: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब) का लोकार्पण किया गया। पुस्तक का विमोचन मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मुख्य अतिथि के रूप में किया। इस अवसर पर डेराबस्सी क्षेत्र के वरिष्ठ भाजपा नेता और समाजसेवी सरदार गुरदर्शन सिंह सैनी विशेष रूप से उपस्थित थे।
ग्लोबल पंजाबी एसोसिएशन और गुरदर्शन सिंह सैनी की ओर से यह सम्मान मुख्यमंत्री सैनी को सिख धर्म के प्रति उनकी सेवाओं, हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की स्थापना, कुरुक्षेत्र में सिख म्यूज़ियम निर्माण की पहल और 1984 के दंगों से प्रभावित सिख परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाने जैसे कार्यों के लिए प्रदान किया गया।
गुरु तेग बहादुर साहिब जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि धर्म और सत्य की रक्षा के लिए बलिदान ही सर्वोच्च मार्ग है।”
डॉ. इकबाल सिंह लालपुरा ने मुख्यमंत्री सैनी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने सिख इतिहास और समाज के उत्थान के लिए उल्लेखनीय कार्य किए हैं। सैनी ने सिख गुरुओं और साहिबजादों के नाम पर शैक्षणिक संस्थानों का नामकरण कर युवाओं में सिख परंपराओं की प्रेरणा जगाई है।मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस अवसर पर कहा कि डॉ. लालपुरा की यह पुस्तक आज के समाज के लिए एक आध्यात्मिक दस्तावेज है, जो गुरु तेग बहादुर साहिब जी के जीवन और उनके बलिदान के माध्यम से मानवता, सहिष्णुता और सत्य के संदेश को जीवित रखती है। उन्होंने कहा कि “गुरु तेग बहादुर साहिब का जीवन हमें यह सिखाता है कि धर्म और सत्य की रक्षा के लिए बलिदान ही सर्वोच्च मार्ग है।”
इस मौके पर डॉ. कुलवंत सिंह धालीवाल, अध्यक्ष – ग्लोबल पंजाबी एसोसिएशन, डॉ. के.एस. औलख (पूर्व कुलपति, पीएयू लुधियाना), महारानी उमा सिंह (नाभा) सहित कई प्रख्यात हस्तियां मौजूद थीं। एसोसिएशन के सदस्यों ने पंजाब में बढ़ती आर्थिक मंदी, नशे की समस्या और युवाओं के पलायन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अब समय है जब सभी पंजाबी मिलकर “सरबत दा भला” की भावना से काम करें और पंजाब व पंजाबी संस्कृति के पुनर्जागरण में योगदान दें।
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