Chandigarh news: (आज समाज): विश्व प्रीमैच्योरिटी डे के अवसर पर सेक्टर 44 स्थित मदरहुड हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने समय से पहले जन्म (प्रीमैच्योर बर्थ) के बारे में जागरूकता बढ़ाने और नवजात शिशुओं के लिए नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) की अहमियत पर जोर दिया।
37 सप्ताह से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं के जल्दी पैदा होने के कारण कई हो सकते हैं—जैसे गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप या प्री एक्लेम्पसिया, डायबिटीज, संक्रमण, जुड़वां या मल्टीपल प्रेग्नेंसी, या गर्भाशय व प्लेसेंटा से जुड़ी जटिलताएँ।
कई बार बिना स्पष्ट कारण के भी प्री-टर्म लेबर शुरू हो जाता है, इसलिए हर होने वाले माता-पिता के लिए जागरूकता और तैयारी बेहद ज़रूरी है।प्रीमैच्योर शिशुओं को आमतौर पर सांस लेने, दूध पिलाने, शरीर का तापमान बनाए रखने और अंगों के विकास के लिए अतिरिक्त सहयोग की जरूरत होती है।
ऐसे में उन्नत एनआईसीयू जीवनरक्षक भूमिका निभाता है। इस बारे में सरल शब्दों में बताते हुए डॉ. सौरभ कपूर, कंसल्टेंटनियोनेटोलॉजी व पीडियाट्रिक्स, मदरहुड हॉस्पिटल्स, मोहाली कहते हैं, “माता-पिता एनआईसीयू में ट्यूब, मॉनिटर और मशीनें देखकर घबरा जाते हैं।
लेकिनएनआईसीयू वास्तव में सुरक्षा की जगह है। यह ‘गर्भ के बाहरगर्भ’ जैसा वातावरण तैयार करता हैजहाँ गर्माहट, सुरक्षा और नियंत्रित माहौल मिलता है, जिसकी शिशु को वृद्धि के लिए जरूरत होती है। सही समय पर देखभाल मिले तो अधिकांश प्रीमैच्योर बच्चे अच्छी तरह बढ़ते हैं और स्वस्थ जीवन जीते हैं।”


