हिन्दु धर्म के 24 संस्कारों में से एक उपनयन संस्कार
मुख्य अतिथि आर्य प्रतिनिधि सभा हरयाणा के प्रधान सेठ राधाकृष्ण आर्य ने कहा कि हिन्दु धर्म के 24 संस्कारों में से एक उपनयन संस्कार है। इसी के अन्तर्गत ही जनेऊ धारण किया जाता है। जनेऊ पहनने के तीन कारण होते हैं, प्राचीन काल में शिष्य, संत और ब्राह्मण बनाने के लिए दीक्षा दी जाती थी। इस दीक्षा देने के तरीके में से एक जनेऊ धारण करना भी होता है। दूसरा कारण द्विजत्व यानि दूसरा जन्म। स्वार्थ की संकीर्णता से निकलकर पशुता को त्यागकर मनुष्यता को ग्रहण करना भी दूसरा जन्म कहलाता है। तीसरा कारण यह है कि जनेऊ पहनने से पवित्रता का अहसास होता है। भारतीय संस्कृति में यज्ञोपवीत यानि जनेऊ धारण करने की परंपरा वैदिक कार्यकाल से ही चली आ रही है। जनेऊ को संस्कृत भाषा में यज्ञोपवीत कहा जाता है। उन्होने कहा कि यज्ञोपवीत केवल धार्मिक नजरिए से नहीं बल्कि सेहत के लिहाज से भी अच्छा होता है। यज्ञोपवीत धारण करने से अध्यात्मिक उर्जा भी प्राप्त होती है। यह हमें हमेशा ही बुरे कामों से बचने की याद दिलाता रहता है। इस अवसर पर विद्यालय की समस्त प्रबन्धक समिति व स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।
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