किस लिए इतना जरूरी है लागोस मुक्त क्षेत्र में निर्माण इकाइयां स्थापित करना
Business News Update (आज समाज), बिजनेस डेस्क : एक तरफ जहां अमेरिका ने भारत और रूस के व्यापारिक रिश्तों को आधार बनाकर भारत पर भारी भरकम 50 प्रतिशत टैरिफ लागू कर दिया है। ताकि भारत को आर्थिक रूप से कमजोर किया जा सके। वहीं कई ऐसे देश हैं जो विश्व की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था (भारत) के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत करने को आतुर हैं। इन्हीं देशों में से एक है नाइजीरिया जिसने अमेरिकी टैरिफ से निपटने के लिए भारत को अपनी तरफ से बड़ी पेशकश दी है। यदि भारत इसे मान लेता है तो यह दोनों देशों के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकती है।
अमेरिकी टैरिफ से भारत का 49 अरब डालर का व्यापार प्रभावित
अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जिससे भारत का करीब 49 अरब डॉलर का व्यापार प्रभावित होने की आशंका है। अब नाइजीरिया ने भारत के उद्योगों के सामने एक पेशकश की है। नाइजीरिया ने उसके लागोस मुक्त क्षेत्र (एलएफजेड) में निर्माण करने की पेशकश की है। लागोस मुक्त क्षेत्र से अमेरिका और दुनिया के अन्य प्रमुख बाजारों तक आसान पहुंच मिलती है। एलएफजेड की प्रबंध निदेशक और सीईओ अदेसुवा लाडोजा ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ ने भारतीय कंपनियों खासकर, कपड़ा, चमड़ा और आॅटोमोबाइल के लिए कड़ी चुनौती पेश की है।
इसलिए फायदेमंद साबित होगी यह डील
लाडोजा ने कहा कि ‘लागोस मुक्त क्षेत्र की खासियत यह है कि अमेरिका को नाइजीरियाई निर्यात पर 14 प्रतिशत तक का न्यूनतम शुल्क लगता है, जो कई अन्य देशों पर लागू शुल्कों से काफी कम है। ऐसे में भारतीय कंपनियां एलएफजेड में अपनी उत्पादन इकाइयां स्थापित कर कम टैरिफ में अमेरिका सामान भेज सकती हैं। लाडोजा ने कहा कि अमेरिका के अलावा, एलएफजेड से दुनिया के अन्य प्रमुख वैश्विक बाजारों तक भी पहुंच आसान हो जाएगी। उन्होंने कहा कि नाइजीरिया में बने सामान यूरोपीय संघ के देशों में जीएसपी से फायदे में रहते हैं और उन्हें कम शुल्क या शून्य शुल्क देना पड़ता है।
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