Kartik Amavasya: कब है कार्तिक अमावस्या, जानें स्नान-दान के लिए शुभ मुहूर्त

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Kartik Amavasya: कब है कार्तिक अमावस्या, जानें स्नान-दान के लिए शुभ मुहूर्त
Kartik Amavasya: कब है कार्तिक अमावस्या, जानें स्नान-दान के लिए शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में कार्तिक मास में पड़ने वाली अमावस्या का है विशेष महत्व
Kartik Amavasya, (आज समाज), नई दिल्ली: सनातन धर्म में कार्तिक मास में पड़ने वाली अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान, दान और भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर ही दीपावली का पर्व मनाया जाता है, जब घर-घर में दीप जलाकर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक अमावस्या का व्रत दिवाली के एक दिन बाद यानी 21 अक्टूबर 2025, मंगलवार को रखा जाएगा। यह दिन स्नान-दान और धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जा रहा है। आइए जानते हैं कि कार्तिक अमावस्या पर स्नान-दान के लिए शुभ मुहूर्त और नियम।

कार्तिक अमावस्या 2025 तिथि और समय

पंचांग के अनुसार, कार्तिक अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर शाम 3 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 21 अक्टूबर शाम 5 बजकर 54 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, व्रत, स्नान और दान का पुण्य कार्य 21 अक्टूबर को किया जाएगा।

स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

शास्त्रों में बताया गया है कि कार्तिक अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में किया गया स्नान-दान अत्यंत शुभ फल देता है। इस साल सुबह 4 बजकर 44 मिनट से 5 बजकर 35 मिनट तक का समय स्नान-दान के लिए सबसे उत्तम रहेगा। इस अवधि में पवित्र नदियों में स्नान कर दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

कार्तिक अमावस्या के उपाय

अगर आप अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाना चाहते हैं, तो कार्तिक अमावस्या के दिन तुलसी की माला से 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें। इस उपाय से न सिर्फ आर्थिक लाभ होता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मबल भी प्राप्त होता है।

कार्तिक अमावस्या पूजा विधि

सबसे पहले सुबह स्नान कर घर और मंदिर की साफ-सफाई करें। इसके बाद भगवान गणेश जी का ध्यान कर पूजा प्रारंभ करें। अब भगवान विष्णु का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।

इतना करने के बाद प्रभु को पीला चंदन, पीले पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। मंदिर में घी का दीपक जलाएं और वातावरण को पवित्र करें। श्रद्धा के साथ श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें। भगवान विष्णु की आरती करें और भोग लगाएं। अंत में भगवान से क्षमा प्रार्थना करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।