आंवले के पेड़ को साक्षी मानकर की जाती है भगवान विष्णु की पूजा
Amla Navami, (आज समाज), नई दिल्ली: हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के अगले दिन आंवला या कहें कि अक्षय नवमी पड़ती है। इस दिन आंवले के पेड़ या कहें कि उसको साक्षी मानकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही आंवले के पेड़ के नीचे भोजन पकाया जाता है। ये भोजन सबसे पहले भगवान शिव और विष्णु जी को चढ़ाया जाता है। दोवउठनी एकादशी से दो दिन पहले आंवला नवमी मनाई जाती है। आइए जानते हैं कि इस साल आंवला नवमी कब है? साथ ही जानते हैं पूजा का समय, विधि और महत्व।
कब है आंवली नवमी
इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 30 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर शुरू हो रही है। ये नवमी तिथि 31 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 03 मिनट तक रहने वाली है। ऐसे में इस साल आंवला नवमी 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस साल की शुक्ल पक्ष की नवमी पर पूर्वाह्न काल सुबह 06 बजकर 32 मिनट से लेकर 10 बजकर 03 मिनट तक है।
आंवला नवमी पूजा विधि
- इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए।
- साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए।
- इसके बाद आंवले के पेड़ के पास जाकर सफाई करनी चाहिए।
- फिर हल्दी, कुमकुम और सिंदूर लगाकर पेड़ की पूजा करनी चाहिए।
- शाम के समय दीपक जलाकर आंवले के पेड़ की पूजा सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।
- इसके बाद खीर पूड़ी और मिठाई का भोग लगाना चाहिए।
- पूजा के बाद प्रसाद बांटना चाहिए और वृक्ष के नीचे भोजन करना पुण्यदायक माना गया है।
आंवला नवमी का महत्व
आंवला नवमी की पूजा विशेष रूप से उत्तर भारत में होती है। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाया और खाया जाता है। महिलाएं आंवला नवमी की पूजा संतान के खुशहाल जीवन और सफलता के लिए करती हैं। धार्मिक मान्यताओं अनुसार आंवला नवमी की पूजा संपन्न करने पर अक्षय फल की प्राप्ति होती है।


