जानें खेती करने का तरीका और रख-रखाव के उपाय
Beetroot Farming, (आज समाज), नई दिल्ली: चुकंदर की फसल सेहत के लिए फायदेमंद होने के साथ-साथ किसानों के लिए एक अच्छी आय का स्रोत भी है। भारत के मौसम और जलवायु को ध्यान में रखते हुए, चुकंदर की खेती सही तरीके से करने से बेहतर उपज प्राप्त की जा सकती है। आज हम जानेंगे कि चुकंदर की खेती कब और कैसे की जाती है, इसमें लगने वाले समय, मिट्टी की तैयारी, बीज, सिंचाई और देखभाल के बारे में।
सही समय
भारत में चुकंदर की खेती मुख्यत: ठंडे मौसम में की जाती है। इसकी खेती अक्टूबर से फरवरी तक का समय सबसे उपयुक्त है। इस दौरान तापमान 10-25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो चुकंदर की अच्छी वृद्धि के लिए उपयुक्त है। गर्मी के मौसम में चुकंदर की खेती से बचना चाहिए क्योंकि उच्च तापमान फसल की गुणवत्ता और उपज को प्रभावित करता है।
जलवायु और मिट्टी
चुकंदर के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। बहुत अधिक बारिश वाली जगहों पर इसकी खेती करना कठिन हो सकता है क्योंकि अत्यधिक नमी से फसल सड़ सकती है। चुकंदर की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। यह मिट्टी जल निकासी में सक्षम होती है और इसके साथ ही यह जड़ों को पर्याप्त पोषक तत्व प्रदान करती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होनी चाहिए। भूमि में जैविक सामग्री अधिक होनी चाहिए ताकि पौधे को पोषण मिल सके।
भूमि की तैयारी
खेत को अच्छी तरह से जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। गोबर की खाद या नव्यकोष जैविक खाद डालें। यह मिट्टी को उपजाऊ बनाता है। खेत को समतल करें और उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।
चुकंदर की बुवाई का तरीका
बीज का चयन: उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीजों का उपयोग करें। प्रति एकड़ लगभग 4-5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
बुवाई की विधि
- बीजों को पंक्तियों में बोएं।
- पंक्तियों के बीच 20-25 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
- बीजों को 2-3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं।
- बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें।
बीज उपचार
- बीजों को बुवाई से पहले फफूंदनाशक (ऋ४ल्लॅ्रू्रीि) जैसे कार्बेन्डाजिÞम से उपचारित करें। इससे फसल बीमारियों से सुरक्षित रहेगी।
- चुकंदर की सिंचाई और देखभाल
- पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें।
- ठंड के मौसम में 12-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
- गर्मी के मौसम में सिंचाई का अंतराल 7-10 दिन रखें।
- ध्यान दें कि खेत में जल भराव न हो।
खरपतवार नियंत्रण का तरीका
खेत में नियमित रूप से खरपतवार हटाएं। खरपतवार फसल के पोषक तत्वों को कम कर सकते हैं।
खाद और उर्वरक
गोबर की खाद या नव्यकोष जैविक खाद का प्रयोग करें। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और चुकंदर की फसल अच्छी होती है।
हानिकारक कीट और रोकथाम
- सुंडी: यदि इसका हमला दिखे तो इसके बचाव के लिए डाइमैथोएट 30 ई सी 200 मि.ली. को प्रति एकड़ में डालें।
- भुंडी: यदि इसका हमला दिखे तो बचाव के लिए मिथाइल पैराथियॉन (2 प्रतिशत) 2.5 किलो को प्रति एकड़ में डालें।
- चेपा और तेला: यदि इसका हमला दिखे तो बचाव के लिए क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी 300 मि.ली. को प्रति एकड़ में डालें।