Uttarakhand Cloudburst: उत्तरकाशी के धराली में बादल फटने के बाद सेना के जवानों समेत 70 से ज्यादा लोग अब भी लापता

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Uttarakhand Cloudburst: उत्तरकाशी के धराली में बादल फटने के बाद सेना के जवानों समेत 70 से ज्यादा लोग अब भी लापता

Uttarkashi Cloudburst Live Updates, (आज समाज), देहरादून: उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के धराली हर्षिल (Dharali Harshil) में बादल फटने के बाद से लापता लोगों का अब तक पता नहीं चल पाया है। धराली गांव के ऊपर खीरगंगा में मंगलवार दोपहर को बादल फटा। और लगभग पूरा गांव तबाह हो गया है। इसके बाद खीरगंगा नदी (Kheerganga River) में अचानक बाढ़ आ गई। पानी के साथ आए मलबे का बहाव इतना तेज था कि इससे धराली की मैन मार्केट पूरी तरह तबाह हो गई। धराली का प्रसिद्ध कल्प केदार मंदिर भी पूरा का पूरा मलबे में बह गया है। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 4 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है और करीब 10 सेना के जवानों सहित 70 लोग लापता हैं। आपदा के बाद से राहत और बचाव कार्य जारी हैं।

हर्षिल में राहत शिविर स्थापित किए गए 

आज सुबह से फिर राहत एवं कार्य जारी है। प्रशासन, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, सेना और पुलिस की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी हैं। आपदा कंट्रोल रूम से भी हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है। पुलिस अधीक्षक सरिता डोबाल और डीएम प्रशांत आर्य के अनुसार घटना के बाद बेघर हुए लोगों के लिए जिला प्रशासन ने हर्षिल में राहत शिविर स्थापित किए हैं। इसके अलावा मौके पर पहुंचकर नुकसान का आकलन किया जाएगा।

पीएम मोदी ने सीएम धामी को फोन कर लिया स्थिति का जायजा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात करके स्थिति का अपडेट लिया है। सीएम ने पीएम को बताया राज्य सरकार पूरी मुस्तैदी से राहत एवं बचाव के काम में जुटी है। बादल फटने की घटना के बाद लगातार बारिश हो रही है, जिसके चलते राहत एवं बचाव के काम में दिक्कत आ रही है। मोदी ने केंद्र सरकार की तरफ से संकट की इस घड़ी में हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।

2013 के केदारनाथ जल प्रलय की यादें ताजा हुई

उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद जिस भयावह तरीके से मलबा पहाड़ी से नीचे आया, उस दृश्य ने साल 2013 के केदारनाथ जल प्रलय (kedarnath floods) की यादें ताजा कर दी हैं। वीडियो में दिख रहे सीन से भी स्थिति को समझा जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार भूमध्य सागर से उठने वाले पश्चिमी विक्षोभ का हिमालय से टकराना इन दोनों प्राकृतिक आपदाओं का मुख्य कारण रहा है। विशेषज्ञों ने कहा है कि क्लाइमेट चेंज की वजह से अब मानसून और वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आगे की ओर शिफ्ट हो रहा है।

पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से केदारनाथ में बादल फटे थे

पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) के प्रभाव के चलते ही वर्ष 2013 में केदारनाथ में बादल फटे और भयंकर बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया था। गौरतलब है कि आईआईटी रुड़की का हाइड्रोलॉजी विभाग जर्मनी की यूनिवर्सिटी के साथ इंडो जर्मन प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है और इसमें भारतीय हिमालयी क्षेत्र में प्राकृतिक खतरों जैसे अतिवृष्टि और बादल फटने की घटनाओं का आकलन व भविष्यवाणी पर शोध किया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ के चलते बादल फटने की घटना और विकराल हो गई।

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