कहा, ट्रंप ने नीति न बदली तो भारत को हमेशा के लिए खो देंगे
India-US Trade Relations (आज समाज), नई दिल्ली : इस साल जून से भारत और अमेरिका के रिश्ते लगातार पेंचीदा हो रहे हैं। इसकी वजह है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत के प्रति रवैया। जून में जहां भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को टालने में अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपनी अहम भूमिका का राग अलापा वहीं भारत ने इसमें किसी बाहरी व्यक्ति के शामिल होने की संभावना को पूरी तरह से नकार दिया।
जिससे ट्रंप भारत से नाराज हो गए और उन्होंने भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। तब से लेकर अब तक दोनों देशों में कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं लेकिन संबंध सामान्य नहीं हो पाए हैं। अमेरिका के रवैये के चलते भारत ने व्यापार के लिए दूसरे विकल्प तलाश करने शुरू कर दिए हैं ताकि अमेरिका पर निर्भरता कम की जा सके। इसी बीच अमेरिकी सांसदों ने भारत और अमेरिका के बीच चल रहे माहौल पर चिंता व्यक्त की है।
ट्रंप भारत को अमेरिका से दूर धकेल रहे
कैलिफोर्निया से डेमोक्रेट सांसद ने कहा, ट्रंप ने भारत को अमेरिका से दूर धकेला और रूसी साम्राज्य को सशक्त बनाया है। यह वह विरासत नहीं है, जिस पर किसी राष्ट्रपति को गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा, जब इतिहास की किताबें लिखी जाएंगी और बताया जाएगा कि भारत के प्रति ट्रंप की शत्रुता कहां से शुरू हुई, तो वे ऐसी चीज की ओर इशारा करेंगी, जिसका हमारे दीर्घकालिक रणनीतिक हितों से कोई लेना-देना नहीं है।
ट्रंप की नीतियां स्थाई संबंधों को नुकसान पहुंचा रहीं
भारत के प्रति अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां रणनीतिक विश्वास और आपसी हितों को वास्तविक और स्थायी नुकसान पहुंचा रही हैं। यदि ट्रंप ने अपना रुख नहीं बदला, तो वह भारत को खो देने वाले राष्ट्रपति साबित होंगे। शीर्ष अमेरिकी सांसद सिडनी कमलागर-डोव ने गुरुवार को दक्षिण और मध्य एशिया विदेश मामलों की उपसमिति की बैठक में ये बातें कहीं। सिडनी ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को हुई क्षति की भरपाई के लिए वाशिंगटन को तत्काल कदम उठाने होंगे। सिडनी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हाल के दिल्ली दौरे के दौरान एक ही कार में सवार मोदी-पुतिन की तस्वीर दिखाते हुए कहा कि यह पोस्टर हजार शब्दों के बराबर है।
सबसे बड़ी समस्या उच्च टैरिफ
ध्रुव जयशंकर ने कहा कि 1998 के बाद से भारत-अमेरिका रिश्ते कई दौरों से गुजरे हैं, न्यूक्लियर प्रतिबंधों से लेकर रक्षा, व्यापार, टेक और रणनीति में करीबी साझेदारी तक। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इन रिश्तों में अब एक प्रकार की राजनीतिक ठहराव की स्थिति दिख रही है। उनके मुताबिक सबसे बड़ी बाधा ट्रेड और टैरिफ विवाद हैं। उन्होंने बताया कि भारत ने हाल के वर्षों में कई व्यापार समझौते किए हैं और अमेरिका के साथ भी समाधान करीब दिख रहा है।
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