Union Minister Mansukh Mandaviya: आधुनिकता, पारदर्शिता और सामाजिक सुरक्षा की ओर कदम

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Union Minister Mansukh Mandaviya
Union Minister Mansukh Mandaviya: आधुनिकता, पारदर्शिता और सामाजिक सुरक्षा की ओर कदम

Mansukh Mandaviya Labor Reforms, राकेश सिंह, (आज समाज), नई दिल्ली: केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री का पद संभालने के बाद से डॉक्टर मनसुख मंडाविया ने भारत के श्रम तंत्र को आधुनिक बनाने के लिए बड़े स्तर पर सुधार शुरू किए हैं। जून 2024 में उन्होंने मंत्री पद संभाला था। उनका जोर तकनीक के उपयोग, कानूनों को सरल बनाने और खासकर असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने पर है।

मंत्रालय की एक प्रमुख उपलब्धि डिजिटल टूल्स

मंत्रालय की एक प्रमुख उपलब्धि डिजिटल टूल्स जैसे ई-श्रम माइक्रोसाइट्स और आक्यूपेशनल शॉर्टेज इंडेक्स की शुरूआत रही है। ये प्लेटफॉर्म रोजगार की मांग और आपूर्ति का विश्लेषण करके श्रमिकों को उपयुक्त नौकरियों से जोड़ने में मदद करते हैं। साथ ही, मंत्रालय विभिन्न जॉब पोर्टल जैसे ई-श्रम, एनसीएस और राज्य स्तरीय प्लेटफॉर्म को मिलाकर एकीकृत रोजगार डाटा प्लेटफॉर्म बनाने पर काम कर रहा है। इसका उद्देश्य योजनाओं की बेहतर प्लानिंग और लाभों की प्रभावी डिलीवरी है।

श्रम कानूनों को सरल बनाना भी एक बड़ा सुधार

भारत के श्रम कानूनों को सरल बनाना भी एक बड़ा सुधार रहा है। सरकार पुराने 29 कानूनों की जगह अब चार नए श्रम संहिता लागू कर रही है। इससे कंपनियों के लिए अनुपालन आसान होगा और श्रमिकों को बेहतर सुरक्षा मिलेगी। उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 तक अधिकांश राज्य इन नए कोड्स को अपनाएंगे।

मंत्रालय ने सामाजिक सुरक्षा को भी बढ़ावा दिया

मंत्रालय ने सामाजिक सुरक्षा को भी बढ़ावा दिया है। ईएसआईसी को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जा रहा है ताकि श्रमिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। अब अधिक असंगठित और गिग वर्कर ई-श्रम पोर्टल के जरिए सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क में शामिल हो रहे हैं।

रोजगार बढ़ाने और कौशल की कमी को दूर करने का प्रयास

रोजगार बढ़ाने और कौशल की कमी को दूर करने के लिए सरकार मॉडल करियर सेंटर, स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम और एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम्स को बढ़ावा दे रही है। इसके साथ ही महिलाओं की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

श्रम सुधारों के सकारात्मक परिणाम दिखने शुरू

श्रम सुधारों के सकारात्मक परिणाम दिखने शुरू हो गए हैं। बेरोजगारी दर 2017-18 में 6 प्रतिशत थी, जो 2023-24 में घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है। साथ ही श्रमिक भागीदारी में लगभग 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सामाजिक सुरक्षा का दायरा भी 24 प्रतिशत से बढ़कर 49 प्रतिशत हो गया है, जो एक बड़ा बदलाव है।

आधुनिक, समावेशी और पारदर्शी श्रम व्यवस्था की राह पर देश

हालांकि, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सिस्टम की पहुंच और राज्यों द्वारा सुधारों के सही क्रियान्वयन को लेकर कुछ चुनौतियां अब भी मौजूद हैं। फिर भी, श्रम मंत्रालय के ये कदम भारत को एक आधुनिक, समावेशी और पारदर्शी श्रम व्यवस्था की ओर ले जा रहे हैं।

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