Tulsi Vivaah: तुलसी विवाह 2 नवंबर को, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

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Tulsi Vivaah: तुलसी विवाह 2 नवंबर को, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व
Tulsi Vivaah: तुलसी विवाह 2 नवंबर को, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

देवी तुलसी और भगवान शालिग्राम को समर्पित यह अनुष्ठान
Tulsi Vivaah, (आज समाज), नई दिल्ली: तुलसी विवाह का आयोजन साधक हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को करते हैं। यह देवी तुलसी और भगवान शालिग्राम को समर्पित है। मान्यता है कि इस अनुष्ठान को करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। तुलसी विवाह का हिंदुओ के बीच बहुत महत्व है। यह पर्व देवउठनी एकादशी के अगले दिन पड़ता है, जब भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं और शुभ कामों की शुरूआत होती है। आइए जानते है इस साल यह पर्व कब मनाया जाएगा।

कब शुरू होगी द्वादशी तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि की शुरूआत 02 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 03 नवंबर को सुबह 05 बजकर 07 मिनट पर होगा। पंचांग के आधार पर इस साल 02 नवंबर को तुलसी विवाह किया जाएगा।

तुलसी विवाह का महत्व

  • शुभता का प्रतीक: यह देवी तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह का उत्सव है। यह विवाह एक पारंपरिक हिंदू विवाह की तरह ही किया जाता है, जिसमें कन्यादान, मंडप, और अन्य रस्में शामिल होती हैं।
  • शुभ कार्यों का आरंभ: देवउठनी एकादशी के साथ ही भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं, और तुलसी विवाह के साथ ही सभी मांगलिक काम जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि फिर से शुरू हो जाते हैं, जो पिछले चार महीनों से बंद थे।
  • सौभाग्य और समृद्धि: ऐसा माना जाता है कि जो लोग तुलसी विवाह का अनुष्ठान करते हैं, उनके जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सौभाग्य आता है। विशेष रूप से, जिन दंपत्तियों को संतान नहीं होती, उनके लिए तुलसी का कन्यादान करना बहुत शुभ माना जाता है।
  • पापों का नाश: कहा जाता है कि तुलसी विवाह करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

तुलसी पूजन मंत्र

  • नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे।
    पाहि मां सर्वपापेभ्य: सर्वसम्पत्प्रदायिके।।
  • तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
    धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
  • लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
    तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

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