Sooryagrahan: साल का अंतिम सूर्यग्रहण आज, भारत में नहीं मान्य होगा सूतक काल

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Sooryagrahan: साल का अंतिम सूर्यग्रहण आज, भारत में नहीं मान्य होगा सूतक काल
Sooryagrahan: साल का अंतिम सूर्यग्रहण आज, भारत में नहीं मान्य होगा सूतक काल

सूर्य ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ करने से मिलता है अशुभ फल
Sooryagrahan, (आज समाज), नई दिल्ली: इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का साया रहेगा। 21 सितंबर 2025 की रात को साल का अंतिम सूर्य ग्रहण लग रहा है। यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में होगा। भारत में यह दृश्य नहीं होगा, इसलिए सूतक मान्य नहीं रहेगा। ऐसा माना जाता है कि सूर्य ग्रहण के समय पृथ्वी पर मायावी ग्रह राहु का प्रभाव बढ़ जाता है।

इसी वजह से ग्रहण के दौरान पूजा-अर्चना और शुभ काम करना वर्जित है। सूर्य ग्रहण से पहले मंदिर के कपाट को बंद कर देना चाहिए और भोजन में तुलसी के पत्ते ड़ाल कर रखें। इससे ग्रहण का प्रभाव खाने की चीजों पर नहीं पड़ता है। ऐसे में चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं सूर्य ग्रहण से जुड़ी खास जानकारी के बारे में।

सूर्य ग्रहण टाइम

सूर्य ग्रहण की शुरूआत 21 सितंबर की रात 10 बजकर 59 मिनट पर होगी और समापन रात 03 बजकर 23 मिनट पर होगा। यह साल का आखिरी आंशिक सूर्य ग्रहण है और भारत में नजर नहीं आएगा। इसी वजह से भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।

जरूर करें ये काम

अगर आप सूर्य ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचना चाहते हैं, तो सूर्य ग्रहण के दौरान ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: और ऊँ घृणि: सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस मंत्र का जप करने से व्यक्ति ग्रहण के प्रभाव से दूर रहता है।

इन चीजों का करें दान

सूर्य ग्रहण के समापन होने के बाद दान करने का विशेष महत्व माना गया है। ग्रहण के बाद स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना करें। इसके बाद अन्न, धन और कपड़े समेत आदि चीजों का दान करें। ऐसा माना जाता है कि दान करने से धन में वृद्धि होती है और जीवन सुख-समृद्धि बनी रहती है।

सूर्य मंत्र

ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।
हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
ऊँ घृणि: सूर्यादित्योम
ऊँ घृणि: सूर्य आदित्य श्री
ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूयार्य: नम:
ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
तमो२रिं सर्वपापघ्नं प्रणतो२स्मि दिवाकरम ।
ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात।।

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