Kurukshetra News: महाभारत की थीम पर रखे जाएंगे कुरुक्षेत्र के चौक-चौराहों के नाम

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Kurukshetra News: महाभारत की थीम पर रखे जाएंगे कुरुक्षेत्र के चौक-चौराहों के नाम
Kurukshetra News: महाभारत की थीम पर रखे जाएंगे कुरुक्षेत्र के चौक-चौराहों के नाम

कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की 82वीं बैठक में लिए गए कई फैसले
Kurukshetra News (आज समाज) कुरुक्षेत्र: हरियाणा के कुरुक्षेत्र में चौक-चौराहों के नाम महाभारत की थीम पर रखे जाएंगे। इसके लिए मुख्यमंत्री नायब सैनी ने चौक और प्रवेश द्वार को चिह्नित करने के निर्देश दिए है। सीएम ने कहा कि सरकार का लक्ष्य कुरुक्षेत्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है। सीएम नायब सैनी गत दिवस चंडीगढ़ में आयोजित कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की 82वीं बैठक में बोल रहे थे। बैठक राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय की अध्यक्षता में हुई। बैठक में सीएम नायब सैनी भी मौजूद रहे। इसके साथ कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए।

बैठक में कुरुक्षेत्र सिटी के कई विकास प्रोजेक्टों पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में सफाई व्यवस्था, सरोवर के रख रखाव, नवीनीकरण और ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था करने के साथ साथ मेला एरिया में विकास को लेकर चर्चा हुई है। बैठक में अलग अलग स्थानों पर चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा की गई, साथ ही प्रोजेक्ट्स में तेजी लाने के निर्देश भी दिए गए। बैठक में निर्णय हुआ है कि कुरुक्षेत्र में इलेक्ट्रिक बस चलाई जाएंगी। इन बसों को 48 कोस के अंतर्गत आने वाले तीर्थों के साथ कनेक्ट किया जाएगा। बसों के अंदर रुट मैप भी लगाया जाएगा, साथ ही डेलीवेज पास की व्यवस्था भी रहेगी।

ज्योतिसर की तरफ से आने वाले रास्ते पर लगा सुदर्शन चक्र दोबारा बनाया जाएगा

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि ज्योतिसर की तरफ से आने वाले रास्ते पर लगे सुदर्शन चक्र को भी दोबारा बनाया जाएगा। जिसमें लाइटिंग करने के साथ साथ भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा भी स्थापित होगी। साथ ही बैठक में ब्रह्मसरोवर के प्रवेश द्वार के नाम भी तय करने बारे चर्चा हुई। ज्योतिसर तीर्थ परिसर के आसपास ग्रीनरी की व्यवस्था करने के भी संबंधित विभाग को निर्देश दिए गए है।

राज्यपाल ने दिया 48 कोस के अंतर्गत आने वाले तीर्थ स्थलों पर उत्सव मनाने का सुझाव

राज्यपाल एवं बोर्ड अध्यक्ष बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि देशभर में कुरुक्षेत्र की विस्तृत पहचान बने, इसके लिए सभी को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि 48 कोस के अंतर्गत आने वाले तीर्थ स्थलों को लेकर साल में कम से कम 48 उत्सव इन गांवों में मनाने चाहिए। इनमें जनप्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ साथ जिन गांवों में ये तीर्थ स्थल है, उनकी सहभागिता भी जोड़ी जाए।

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