जन्माष्टमी पर बन रहा सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग
Krishna Janmashtami (आज समाज), नई दिल्ली: हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। पंचांग के मुताबिक इस बार 15 अगस्त को देर रात 11 बजकर 48 मिनट पर भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ होगी। वहीं, 16 अगस्त को रात 09 बजकर 35 मिनट पर अष्टमी तिथि का अंत होगा। इसलिए इस बार जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को मनाया जाएगा।
साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। जन्माष्टमी की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल के रूप में उनकी मूर्ति का पूजन करना शुभ होता है। गृहस्थ 16 अगस्त को को उपवास कर भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना करेंगे।
3 तरह से रख सकते है व्रत
- निर्जला व्रत: एक बूंद जल भी नहीं लिया जाता, जब तक मध्यरात्रि में व्रत न खोला जाए।
- फलाहार व्रत: फल, दूध, मेवे और व्रत के अनुकूल व्यंजन खाए जाते हैं।
- आंशिक व्रत: एक बार भोजन लिया जाता है, जिसमें अनाज और सामान्य नमक नहीं होता।
व्रत प्रारंभ करने से पहले ले संकल्प
व्रत प्रारंभ करने से पहले एक विशेष प्रक्रिया होती है, जिसे संकल्प कहा जाता है। जन्माष्टमी की सुबह स्नान के बाद भगवान श्रीकृष्ण के सामने हाथ जोड़कर मन में संकल्प लें और कहें कि हे कृष्ण, मैं ये व्रत आपकी कृपा पाने और अपने अंतर्मन को शुद्ध करने के लिए कर रहा/रही हूं। कृपया इसे स्वीकार करें।
शुभ मुहूर्त
भगवान कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ है। इसके लिए भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मध्य रात्रि में मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को रात्रि 12:05 से लेकर 12:45 तक रहेगा।
पूजन विधि
श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात में मथुरा के कारागार में हुआ था। इसी वजह से जन्माष्टमी पर मध्यरात्रि 12 बजे भगवान का अभिषेक किया जाता है। बाल गोपाल की प्रतिमा को दूध, दही, शहद, घी व गंगाजल से स्नान कराया जाता है। अभिषेक किया जाता है।
श्रीकृष्ण को रेशमी वस्त्र, अलंकार व मोरपंख से सजाया जाता है। एक सुंदर झूले पर बालकृष्ण को बैठाया जाता है और झूला झुलाया जाता है। भजन, कीर्तन, और आरती से भगवान की भक्ति की जाती है। विधिवत पूजा के बाद माखन-मिश्री का प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोला जाता है।
सुख-समृद्धि की होती है प्राप्ति
शास्त्रों के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण मथुरा नगरी में राजकुमारी देवकी और उनके पति वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में अवतरित हुए थे।
मान्यता है कि जो व्यक्ति कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रख कर पूजा-अर्चना करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की आराधना करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है।
अक्षय पुण्य की होती है प्राप्ति
साथ ही जन्माष्टमी का व्रत रखने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं, इस दिन लोग भजन कीर्तन करते हैं और जन्मोत्सव मनाते हैं। इस दिन के लिए मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया जाता है।
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