PM Modi Speech Live: जीएसटी से बढ़ेगी बचत, देश के लोग आसानी  से खरीद पाएंगे पसंद की चीजें

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PM Modi Speech Live: जीएसटी से बढ़ेगी बचत, देश के लोग आसानी  से खरीद पाएंगे पसंद की चीजें
PM Modi Speech Live: जीएसटी से बढ़ेगी बचत, देश के लोग आसानी  से खरीद पाएंगे पसंद की चीजें
PM Modi Speech Live, आज समाज, नई दिल्ली: नवरात्रि से ठीक एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम खास संबोधन किया। इस संबोधन में उन्होंने जीएसटी 2.0 को लोगों के लिए “डबल तोहफा” बताया। पीएम मोदी ने कहा कि नए जीएसटी सुधारों से आम जनता को सीधा फायदा मिलेगा—सफर आसान होगा, गाड़ी खरीदना आसान होगा और हर घर की बचत भी बढ़ेगी।

हर दुकान स्वदेशी से सजनी चाहिए” – पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से स्वदेशी अपनाने की अपील की। “हमारी जिंदगी में कई विदेशी चीजें शामिल हो गई हैं, हमें इनसे मुक्ति पानी होगी। वो सामान खरीदें जो मेड इन इंडिया हो, जिसे हमारे लोगों ने अपने पसीने से बनाया हो। हर दुकान स्वदेशी से सजे और हर भारतीय गर्व से कहे—ये है स्वदेशी, मैं हूँ स्वदेशी।”

गरीबों पर पड़ता था ज्यादा टैक्स का बोझ”

पीएम मोदी ने बताया कि जीएसटी आने से पहले देश की करोड़ों जनता और लाखों कंपनियों को अलग-अलग टैक्सों के जाल से गुजरना पड़ता था। एक शहर से दूसरे शहर सामान भेजने की लागत इतनी बढ़ जाती थी कि आखिरकार बोझ गरीबों की जेब पर ही पड़ता था। “2014 में जब देश ने हमें जिम्मेदारी दी, तो हमने जीएसटी को सबसे बड़ी प्राथमिकता बनाया। सभी राज्यों और हितधारकों को साथ लेकर ही इतना बड़ा टैक्स सुधार आजादी के बाद संभव हो पाया,” पीएम मोदी ने कहा।

जीएसटी से बढ़ेगी बचत, पूरी होंगी ख्वाहिशें 

पीएम मोदी ने कहा कि नए जीएसटी रिफॉर्म्स से हर वर्ग को फायदा मिलेगा। “अब आपकी बचत बढ़ेगी, आप अपनी मनपसंद चीजें खरीद पाएंगे। ये सुधार आत्मनिर्भर भारत की ओर एक बड़ा कदम है। इससे कारोबार आसान होगा, निवेश आएगा और हर राज्य विकास की दौड़ में बराबर भागीदार बनेगा।”

कितने टैक्सों में उलझे थे व्यापारी 

पीएम मोदी ने पुराने दौर का किस्सा सुनाते हुए कहा  “पहले व्यापारी एंट्री टैक्स, सेल्स टैक्स, एक्साइज, सर्विस टैक्स, वैट जैसे दर्जनों टैक्सों में उलझे रहते थे। माल एक शहर से दूसरे भेजने में दर्जनों फार्म भरने पड़ते थे। हालात ऐसे थे कि किसी विदेशी अखबार ने लिखा था—बेंगलुरु से हैदराबाद सामान भेजना इतना मुश्किल था कि कोई कंपनी बेंगलुरु से यूरोप भेज दे और फिर यूरोप से हैदराबाद मंगवा ले। यही उस वक्त की सच्चाई थी।”

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