माता लक्ष्मी की भी करें पूजा
Parivartini Ekadashi Bhog, (आज समाज), नई दिल्ली: परिवर्तिनी एकादशी का व्रत बेहद शुभ माना जाता है। इस उपवास को रखने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही पापों का नाश होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा होती है। परिवर्तिनी एकादशी हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती हैं। इस दिन पूजा-पाठ, भजन, पवित्र नदियों में स्नान, दान व धार्मिक यात्राएं करने से साधक को जीवन में सकारात्मक परिवर्तन महसूस होते हैं।
इसके अलावा व्यक्ति की सभी इच्छाएं भी प्रभु पूरी करते हैं। इस बार 3 सितंबर 2025 को परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के साथ आयुष्मान योग का संयोग है। ऐसे में इन तीन चीजों का भोग लगाने से श्रीहरि की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती हैं।
शुभ मुहूर्त
इस साल 3 सितंबर को सुबह 04 बजकर 53 मिनट पर एकादशी तिथि प्रारंभ हो रही है। तिथि का समापन 4 सितंबर को सुबह 04 बजकर 21 मिनट पर है। ऐसे में 3 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी मान्य होगी। शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 35 मिनट से लेकर 9 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। 4 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 4 बजकर 7 तक मिनट तक व्रत का पारण कर सकते हैं।
इन चीजों का लगाए भोग
- धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक परिवर्तिनी एकादशी के दिन विष्णु जी को पंचामृत का भोग लगाएं। मान्यता है कि इसके प्रभाव से साधक की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस दौरान पंचामृत में तुलसी का पत्ता अवश्य डाल दें। यह बहुत ही शुभ होता है।
- एकादशी तिथि पर आप प्रभु को धनिया और सूखे मेवों से बनी पंजीरी का भोग लगाएं। मान्यता है कि इससे साधक के धन-धान्य में वृद्धि होती है।
- परिवर्तिनी एकादशी पर प्रभु की विधि-विधान से पूजा करें। फिर आप उन्हें मखाने की खीर का भोग लगाएं। इससे बेहतर स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
इन चीजों का नहीं करें सेवन
अगर आप परिवर्तिनी एकादशी व्रत रख रहे हैं, तो अन्न और चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। एकादशी व्रत में आलू साबूदाने की सब्जी, कुट्टू के आटे की रोटी, दूध, दही और फल का सेवन कर सकते हैं। इन चीजों को ग्रहण करने से पहले प्रभु को भोग जरूर लगाएं। साथ ही पंचामृत और तुलसी के पत्ते भी शामिल करें। एक बात का विशेष ध्यान रखें कि भोजन में सेंधा नमक का इस्तेमाल करना चाहिए।
भगवान विष्णु की पूजा विधि
- पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें।
- अपने घर और मंदिर को साफ करें।
- एक वेदी लें और उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा देवी लक्ष्मी के साथ स्थापित करें।
- एक दीपक जलाएं और भगवान विष्णु की मूर्ति को फूलों से सजाएं।
- गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
- उन्हें तुलसी पत्र चढ़ाएं, जो कि एकादशी व्रत के लिए बहुत जरूरी है।
- भगवान का आह्वान करने के लिए विष्णु मंत्रों का जाप करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ और भगवान विष्णु चालीसा का पाठ करें।
- पंचामृत और पंजीरी का भोग लगाएं।
- भगवान विष्णु की आरती से पूजा समाप्त करें।
- एकादशी व्रत का पारण अगली सुबह द्वादशी तिथि को करें।
- सात्विक भोजन से व्रत खोलें।
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