Mahendragarh News : अपशिष्ट प्रबंधन का वैज्ञानिक शैली से निपटान आवश्यक : डॉ. नरेश कुमार

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Mahendragarh News : अपशिष्ट प्रबंधन का वैज्ञानिक शैली से निपटान आवश्यक : डॉ. नरेश कुमार
हकेवि में आयोजित विशेषज्ञ व्याख्यान में प्रतिभागी विद्यार्थियों को संबोधित करते डॉ. नरेश कुमार भारद्वाज।

Mahendragarh News( (आज समाज)महेंद्रगढ़ : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के सतत अध्ययन पीठ के अंतर्गत संचालित औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन विभाग में ‘सतत विकास तथा अर्थव्यवस्था के लिए अपशिष्ट प्रबंधन‘ विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पंजाब सरकार में ठोस कचरा प्रबंधन विभाग में अतिरिक्त निदेशक डॉ. नरेश कुमार भारद्वाज विशेषज्ञ वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेशवर कुमार ने अपने संदेश में इस तरह आयोजन को विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बताते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए जा रहे ‘स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत‘ मिशन में युवाओं की सहभागिता पर जोर दिया। डॉ. नरेश कुमार भारद्वाज ने अपन संबोधन में कहा कि बढ़ती हुई जनसंख्या, अंधाधुंध औद्योगिकरण, अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अनुचित तकनीकों का प्रयोग तथा वर्तमान में यातायात के साधनों के अत्याधिक प्रयोग से उत्पन्न हो रहे विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, बायोमेडिकल अपशिष्ट आदि ने धरती पर मानवीय जीवन को खतरे में डाल दिया है।

पृथ्वी पर मानव के जीवन के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध 

पृथ्वी इस ब्रह्मण्ड में रहने के लिए सबसे उपयुक्त जगह इसलिए है क्योंकि यहाँ पर मानव के जीवन के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध है परंतु उनका सतत विकास ना करने से विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय समस्याएं दिनोदिन बढ़ती जा रही है। आज जनसंख्या में लगातार बढ़ोतरी होने से विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट उत्पन्न हो रहा है लेकिन उसका उचित प्रबंधन हमारे सामने एक बहुत बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।

जो चीज हमारे लिए व्यर्थ है, वही किसी के लिए जीवनयापन का कारण

यह समस्या बड़े महानगरों में एक विशालकाय पहाड़ के रूप में देखी जा सकती है। इस प्रकार अपशिष्ट प्रबंधन उचित प्रकार ना होने से हमारे जीवनोपयोगी स्त्रोत प्रदूषित होते जा रहे हैं। अतएव उपर्युक्त चीजों को समझते हुए हमें अपशिष्ट प्रबंधन को जीवन का अभिन्न अंग मानना चाहिए क्योंकि जो चीज हमारे लिए व्यर्थ है, वही किसी के लिए जीवनयापन का कारण बन जाती है।

इस अवसर पर सतत अध्ययन पीठ के अधिष्ठाता प्रो. आशीष माथुर ने कहा कि औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाओं को समझते हुए उनका विभाग विद्यार्थियों को अपशिष्ट प्रबंधन की तकनीकों को कक्षाओं से उद्योगों तक व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने के लिए प्रयासरत है।

उन्होंने विभाग के विद्यार्थियों को मिल रहे प्लेसमेंट के लिए विभाग के शिक्षकों के प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग के डॉ. अनूप यादव, डॉ. मोना शर्मा, डॉ. सुयश मिश्रा, डॉ. ऋचा, डॉ. सुनील कुमार, श्री प्रदीप कुमार, शालू सैनी, नसीब, पिंकी सहित विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।

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