भगवान शंकर को माना जाता है श्मशान का स्वामी
Lord Shiva in Shamshan, (आज समाज), नई दिल्ली: आपने अक्सर देखा होगा कि श्मशान घाट में भगवान शिव की मूर्ति जरूर होती है। लेकिन बहुत कम लोगों को इसकी वजह पता होती है। कई लोगों के मन में सवाल भी आता है कि आखिर किसी अन्य देवता की जगह श्मशान में सिर्फ भगवान शिव की प्रतिमा ही क्यों विराजमान होती है। चलिए हम आपको बताते हैं इसकी वजह।
श्मशान घाट में निवास करते हैं भगवान शिव
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्मशान घाट में भगवान शिव की मूर्ति इसलिए होती है क्योंकि उन्हें श्मशान का स्वामी माना जाता है, जो संहार और मोक्ष के देवता हैं। भगवान शिव को सृष्टि का संहारक और मोक्षदाता माना गया है। इसलिए वे श्मशान घाट में निवास करते हैं।
जीवन नश्वर है
श्मशान घाट वह स्थान है जहां शरीर का अंत होता है और इस जगह भगवान शिव की मूर्ति यह याद दिलाने के लिए होती है कि जीवन नश्वर है और सब कुछ एक दिन समाप्त हो जाता है, जिससे वह मोह-माया से दूर होकर मुक्ति के मार्ग पर चले।
शिव वैराग्य और शांति का प्रतीक
भगवान शिव वैराग्य और शांति का प्रतीक हैं, जो श्मशान में ध्यान और तपस्या करते हैं। शिवजी शरीर पर भस्म लगाते हैं, जो जीवन की नश्वरता और शरीर की क्षण भंगुरता का प्रतीक है। वे भस्म को पवित्र मानते हैं और इसका धारण कर श्मशान में निवास करते हैं।
मोह-माया से परे हैं शंकर भगवान
श्मशान वैराग्य का प्रतीक है, जहां व्यक्ति अपने सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त होता है। धार्मिक मान्यता है कि शिवजी का वहां निवास करना यह दर्शाता है कि वे मोह-माया से परे हैं। श्मशान में शिव की मूर्ति इसलिए होती है जिससे व्यक्ति को याद रहे कि एक दिन सबको मोक्ष प्राप्त करना है।
शिव की मूर्ति व्यक्ति को जीवन की नश्वरता की याद दिलाती है
भगवान शिव को भूतनाथ (सभी भूतों और पांच तत्वों के देवता) और महाकाल (समय और मृत्यु के देवता) के रूप में भी जाना जाता है, इसलिए वे श्मशान में निवास करते हैं। ऐसी मान्यता है कि श्मशान में शिव की मूर्ति व्यक्ति को जीवन की नश्वरता की याद दिलाती है।
ये भी पढ़ें: इन मंत्रों के साथ करें सुबह की शुरूआत


