Antim Sanskar Niyam: जानें क्यों दामाद नहीं कर सकता अंतिम संस्कार

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Antim Sanskar Niyam: जानें क्यों दामाद नहीं कर सकता अंतिम संस्कार
Antim Sanskar Niyam: जानें क्यों दामाद नहीं कर सकता अंतिम संस्कार

क्या कहता है गरुण पुराण
Antim Sanskar Niyam, (आज समाज), नई दिल्ली: मृत्यु इस जीवन का सबसे बड़ा और अंतिम सत्य है। मत्यु लोक में जन्म लेने वाले हर जीव को इस लोक को छोड़कर एक दिन जाना ही पड़ता है, लेकिन सच ये भी है कि मृत्यु केवल जीव के शरीर की होती है। आत्मा अमर मानी जाती है। मत्यु और अंतिम यात्रा के बारे में गरुण पुराण में विस्तार से बताया गया है। व्यक्ति की मृत्यु और उसके अंतिम संस्कार से जुड़ी हर एक बात गरुण पुराण में वर्णित है। हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

अंतिम संस्कार हमेशा नियमों और आदर्शों के अनुसार ही किया जाता है। गरुण पुराण और अन्य शास्त्रों में सिर्फ बेटों द्वारा ही अंतिम संस्कार की बात कही गई है, लेकिन अब बदलते समय में बेटियां और दामाद भी अंतिम संस्कार करने लगे हैं। आइए जानते हैं कि गरुण पुराण में दामाद द्वारा अंतिम संस्कार करने पर क्या लिखा है?

संस्कार पर पहला अधिकार पुत्र का

गरुण पुराण के अनुसार, मृतक के अंतिम संस्कार का पहला अधिकार उसके पुत्र का होता है। हालांकि गरुण पुराण में दामाद को अंतिम संस्कार करने से रोकने का कोई सीधा उल्लेख तो नहीं मिलता, लेकिन सनातन धर्म की मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार, दामाद को अंतिम संस्कार करने से मना किया जाता है। दामाद ससुराल के परिवार का पूर्ण सदस्य नहीं माना जाता।

दामाद को अंतिम संस्कार का अधिकार नहीं

दामाद सिर्फ बेटी का पति होता है, इसलिए उसके पास पुत्र के कर्तव्य नहीं होते। कई दामाद अपनी पत्नी के परिवार से खुद को नहीं जोड़ पाते। वो उसे दूसरा ही परिवार समझते हैं। बेटी का कन्यादान के बाद अपने परिवार से नाता टूट जाता है। वह किसी और वंश और गोत्र से जुड़ जाती है। इस तरह से उसका और उसके पति का लड़की के परिवार से कोई धार्मिक संबंध नहीं रहता। इसलिए दामाद को अंतिम संस्कार नहीं करने दिया जाता।

अंतिम संस्कार में जाने की अनुमति नहीं

कुछ क्षत्रों में दामाद को ‘जम’ या यमदूत के रूप में देखा जाता है, इसलिए भी दामाद से दूरी बनाई जाती है। कई जगहों पर दामाद को अंतिम संस्कार में जाने की अनुमति नहीं होती। हालांकि, कुछ समुदायों और परिवारों में, यदि पुत्र या पोता उपलब्ध नहीं हैं, तो अन्य सगे संबंधी, या फिर दामाद से अंतिम संस्कार कराया जाता है।