Sharad Purnima Niyam: जानें शरद पूर्णिमा पर क्यों नहीं बनानी चाहिए रोटी

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Sharad Purnima Niyam: जानें शरद पूर्णिमा पर क्यों नहीं बनानी चाहिए रोटी
Sharad Purnima Niyam: जानें शरद पूर्णिमा पर क्यों नहीं बनानी चाहिए रोटी

रोटी बनाने से मां लक्ष्मी हो जाती हैं नाराज
Sharad Purnima Niyam, (आज समाज), नई दिल्ली: आज शरद पूर्णिमा का पर्व देशभर में मनाया जा रहा है। इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है और इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का भी विधान है। शरद पूर्णिमा की रात को चांद अपने पूरे सौंदर्य और ऊर्जा के साथ आसमान में चमकता है। कहा जाता है कि यह वह रात होती है जब चंद्रमा अपनी सबसे ठंडी और जीवनदायी किरणें धरती पर बरसाता है।

माता लक्ष्मी पृथ्वी पर करती हैं भ्रमण

माना जाता है कि इस रात्रि माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो व्यक्ति उस रात जागरण कर भक्ति करता है, उसे धन, वैभव और समृद्धि का वरदान देती हैं। इस रात खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखने की परंपरा तो आपने सुनी ही होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन रोटी नहीं बनानी चाहिए? आइए जानते हैं इसके पीछे के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण।

इसलिए शरद पूर्णिमा पर नहीं बनाई जाती है रोटी

हिंदू धर्मग्रंथों में माता लक्ष्मी से संबंधित पर्व, त्योहार और उपवास में रोटी बनाने से बचना चाहिए। क्योंकि इस दिन किचन में चूल्हे पर तवा चढ़ाना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से विष्णुप्रिया माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और घर में धन संबंधित कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही परिवार में किसी का श्राद्ध जब होता है, उस दिन भी चूल्हे पर तवा चढ़ाना वर्जित माना गया है।

खीर बनाने का विधान

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन रोटी बनाना अशुभ होता है क्योंकि रोटी अग्नि तत्व से जुड़ी होती है, जबकि शरद पूर्णिमा का चंद्रमा जल और शीतलता के तत्व का प्रतीक है। इस दिन अग्नि का प्रयोग करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद कम हो सकता है, इसलिए कई लोग रोटी की बजाय खीर बनाते हैं, जो चंद्रमा के शीत तत्व का प्रतीक मानी जाती है। साथ ही रोटी (गेहूं) का संबंध सूर्य से माना गया है। सूर्य का स्वभाव तप्त (गरम), तेजस्वी और उष्ण है, जबकि उस दिन चंद्रमा का रस शीतल अमृतमय होता है।

शरद पूर्णिमा का महत्व

धर्मग्रंथों के अनुसार, शरद पूर्णिमा के पर्व को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है और इस दिन माता लक्ष्मी पूजा अर्चना करने से सुख-शांति और समृद्धि आती है। माना जाता है कि इस रात्रि माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो व्यक्ति उस रात जागरण कर भक्ति करता है, उसे धन, वैभव और समृद्धि का वरदान देती हैं। इस रात को कोजागरी व्रत भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कौन जाग रहा है? यानी मां लक्ष्मी उन लोगों को आशीर्वाद देती हैं जो इस रात जागकर भक्ति करते हैं।

चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का वैज्ञानिक महत्व

शरद पूर्णिमा की रात वातावरण में ओस और नमी की मात्रा बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस रात चांदनी में रखी खीर चंद्र किरणों के संपर्क में आने से ठंडी और हल्की हो जाती है। इसमें प्राकृतिक पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जो शरीर के लिए लाभदायक है।

रोटी जैसी गरम चीजें खाने से शरीर का तापमान बढ़ सकता है, जिससे ठंडी रातों में सर्दी-जुकाम का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए पारंपरिक रूप से लोग इस दिन हल्का, ठंडा और दूध-चावल आधारित भोजन ही करते हैं।

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