Shardiya Navratri Vrat Niyam: जानें किन महिलाओं को नहीं रखना चाहिए नवरात्र की महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी का व्रत

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Shardiya Navratri Vrat Niyam: जानें किन महिलाओं को नहीं रखना चाहिए नवरात्र की महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी का व्रत
Shardiya Navratri Vrat Niyam: जानें किन महिलाओं को नहीं रखना चाहिए नवरात्र की महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी का व्रत

इन महिलाओं के लिए शारीरिक तौर पर पूजा करना माना गया है निषेध
Shardiya Navratri Vrat Niyam, (आज समाज), नई दिल्ली: शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्र के 9 दिनों में मां दुर्गा की उपासना की जाती है। इन 9 दिनों में मा दुर्गा के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा करने का विधान है। वैसे तो नवरात्रि के हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है लेकिन महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी बेहद खास मानी जाती है। इस बार महासप्तमी की पूजा 29 सितंबर, महाअष्टमी की पूजा 30 सितंबर और महानवमी की पूजा 1 अक्टूबर को की जाएगी।

सप्तमी, अष्टमी और नवमी ये तीन दिन माता की विशेष कृपा पाने के लिए सबसे अहम माने जाते हैं। जहां ज्यादातर महिलाएं पूरे नौ दिन व्रत और पूजा करती हैं, वहीं शास्त्रों और परंपराओं में कुछ ऐसी महिलाएं बताई गई हैं जिन्हें इन खास तिथियों पर व्रत और पूजा करने से बचना चाहिए।

गर्भवती महिलाएं

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी के दिन व्रत करना गर्भवती महिलाओं के लिए वर्जित माना गया है। इन दिनों लंबा उपवास उनके और गर्भस्थ शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है। इसलिए उन्हें केवल फलाहार या हल्का प्रसाद ग्रहण करने की सलाह दी जाती है। आप बिना किसी रोक टोक के पूजा अर्चना कर सकती हैं लेकिन व्रत करना मां और बच्चे दोनों के लिए सही नहीं माना जाता।

मासिक धर्म से गुजर रही महिलाएं

धर्मशास्त्रों में यह स्पष्ट कहा गया है कि मासिक धर्म के दौरान किसी भी प्रकार की पूजा-पाठ करना उचित नहीं है। महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी जैसे महत्त्वपूर्ण दिनों पर तो यह विशेष रूप से निषेध बताया गया है। आप मासिक धर्म के दौरान उपवास रख सकते हैं लेकिन शारीरिक तौर पर पूजा अर्चना नहीं करनी चाहिए। मासिक धर्म के दौरान मानसिक जप का विशेष महत्व बताया गया है।

बीमार या कमजोर महिलाएं

अगर कोई महिला पहले से बीमार है या बहुत अधिक कमजोरी महसूस कर रही है, तो उसे इन दिनों व्रत और कठोर पूजा-पद्धति से बचना चाहिए। इससे शरीर पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है और स्वास्थ्य बिगड़ने का खतरा रहता है। धर्म शास्त्रों में मानसिक पूजा को शारीरिक पूजा से बड़ा बताया गया है।

अगर कोई महिला स्वास्थ्य संबंधी समस्या से परेशान है तो महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी का व्रत और पूजा पाठ करने से बचना चाहिए। इन तीन श्रेणियों की महिलाएं व्रत ना रखते हुए भी माता की भक्ति कर सकती हैं। वे दीप प्रज्वलित कर, दुर्गा चालीसा का पाठ कर, कन्याओं को भोजन कराकर या दान-पुण्य करके माता रानी का आशीर्वाद पा सकती हैं।

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