Panchbali Shradh: जानें क्या है पंचबलि श्राद्ध

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Panchbali Shradh: जानें क्या है पंचबलि श्राद्ध
Panchbali Shradh: जानें क्या है पंचबलि श्राद्ध

पंचबलि के बिना तृप्त नहीं होती पितरों की आत्मा
Panchbali Shradh, (आज समाज), नई दिल्ली: भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू हुए पितृ पक्ष सर्व पितृ अमावस्या के दिन समाप्त होते हैं। अश्विन मास की अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या या पितृ मोक्ष अमावस्या कहते हैं। इस साल 7 सितंबर से पितृ पक्ष का आरंभ हो चुका है, जोकि 21 सितंबर रहेंगा। इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं।

क्योंकि पितृ नाराज हो जाएं तो पूरा परिवार कष्ट झेलता है। पितृ पक्ष में पंचबलि श्राद्ध करने का बहुत महत्व है, बिना इसके पितृ कर्म अनुष्ठान पूरे नहीं होते हैं। यहां बलि से मतलब किसी प्राणी की बलि नहीं है, बल्कि पितरों के 5 हिस्सों आहार अर्पित करने की परंपरा है, जिसके जरिए पितर तृप्त होते हैं।

पंचबलि श्राद्ध

धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज पशु-पक्षियों के रूप में धरती पर आते हैं और इनके जरिए ही परिजनों द्वारा अर्पित किए गए आहार को स्वीकार करते हैं। फिर तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं और अपने परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं। इसके लिए जब श्राद्ध का भोजन बनाया जाता है तब कुछ हिस्सा पितरों के लिए अलग रखा जाता है।

इसी भोजन को अलग-अलग हिस्सों में बांटकर गाय, कुत्ते, चींटी, कौवे और देवताओं को अर्पित किया जाता है। इन पांचों के लिए भोजन का हिस्सा निकालकर जो अर्पण किया जाता है, उसे ही पंचबलि कर्म या पंचबलि श्राद्ध कहा जाता है।

ऐसे किया जाता है पंचबलि कर्म

पंचबलि कर्म करने की एक विधि है, जिसका पालन करके ही इसे सही तरीके से किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले हवन कुंड या उपले में अग्नि जलाएं और भोजन की 3 आहुति दें। इसके बाद श्राद्ध भोजन में से 5 हिस्से क्रमश: गाय, कुत्ते, कौवे और चींटी के लिए भोजन निकालें। साथ ही देवताओं के लिए भोजन अर्पित करें। इसके बाद ब्राह्मण या गरीब-जरूरतमंद को सम्मानपूर्वक भोजन कराएं।

पंच तत्वों के हैं प्रतीक

पंचबलि के इन 5 हिस्सों का अपना अलग-अलग महत्व है। इसमें कुत्ता जल तत्व का प्रतीक, चींटी अग्नि तत्व की प्रतीक, कौवा वायु का प्रतीक है, गाय पृथ्वी की प्रतिनिधि है और देवता आकाश के प्रतीक हैं। चूंकि मानव शरीर इन पंच तत्वों से मिलकर बना माना जाता है और मृत्यु के बाद शरीर इन पंच तत्वों में ही विलीन हो जाता है इसलिए पंचबलि श्राद्ध के जरिए इन्हें भोजन और जल अर्पित किया जाता है।

ये हैं पंचबलि

  • प्रथम गौ बलि: घर से पश्चिम दिशा में गाय को महुआ या पलाश के पत्तों पर गाय को भोजन कराया जाता है तथा गाय को गौभ्यो नम: कहकर प्रणाम किया जाता है। गौ देशी होना चाहिए।
  • द्वितीय श्वान बलि: पत्ते पर भोजन रखकर कुत्ते को भोजन कराया जाता है।
  • तृतीय काक बलि: कौओं को छत पर या भूमि पर रखकर उनको बुलाया जाता है जिससे वे भोजन करें।
  • चतुर्थ देवादि बलि: पत्तों पर देवताओं को बलि घर में दी जाती है। बाद में वह उठाकर घर से बाहर रख दी जाती है।
  • पंचम पिपलिकादि बलि: चींटी, कीड़े-मकौड़ों आदि के लिए जहां उनके बिल हों, वहां चूरा कर भोजन डाला जाता है।

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