Agriculture News: जानें कैसे धान की फसल को कीट और रोगों से बचाएं

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Agriculture News: जानें कैसे धान की फसल को कीट और रोगों से बचाएं
Agriculture News: जानें कैसे धान की फसल को कीट और रोगों से बचाएं

कीट और रोगों की चपेट में आने से पैदावार होती है कम
Agriculture News (आज समाज), नई दिल्ली: भारत में बड़े पैमाने पर धान की पैदावार होती है। मौजूदा समय में धान की फसल को बालियां आनी शुरू हो चुकी है। जैसे-जैसे फसल कटाई का समय नजदीक आता जाता है। वैसे ही धान की फसल पर कीट और रोगों का खतरा मंडराने लगता है। अगर समय रहते इन रोगों से बचाव के उपाए न किए जाए तो पूरी फसल बर्बाद हो सकती है। इस लेख में हम आपको धान की फसल में आने वाली बीमारियों के बारे में बताएंगे।

साथ ही इन बीमारियों से आप कैसे अपनी फसल को बचाकर बेहतर पैदावार ले सकते है यह भी बताया जाएगा। दरअसल, धान की रोपाई के कुछ दिनों बाद फसलों में शीथ ब्लाईट, शीथ रॉट और पत्र लपेटक कीट और रोगों का प्रकोप देखा जा रहा है। ये बीमारियां धान की फसल को काफी प्रभावित करती हैं। इनकी चपेट में आने से पौधे की ग्रोथ रुक जाती है और पैदावार पर भी असर दिखता है। ऐसे में आइए जानते हैं क्या है इन कीट और रोगों के लक्षण और कैसे करें बचाव।

शीथ ब्लाईट

शीथ ब्लाईट
शीथ ब्लाईट

शीथ ब्लाईट की समस्या धान की फसल में अधिक जल जमाव के कारण आती है। यह रोग मिट्टी जनित होता है। अधिक प्रकोप की स्थिति में रोग सबसे ऊपर की पत्ती तक पहुंच जाते हैं। वहीं, इस रोग के लगने पर पत्ते सूखने लगते हैं. साथ ही ये रोग अगर बालियां आने पर लगते हैं तो बालियों में दाने भी नहीं आते हैं। इस रोग के लक्षण शुरू में मेंड़ों के आसपास और खेतों में उन जगहों पर पाए जाते हैं, जहां खरपतवार के साथ जलजमाव की स्थिति होती है।

लक्षण

शीथ रॉट रोग लगने पर पत्ते में भूरे-भूरे या लाल-भूरे रंग के धब्बे दिखने शुरू हो जाते हैं। ये धब्बे धीरे-धीरे बड़े होते हैं जिससे फसल काफी प्रभावित होता है और सड़न शुरू हो जाता है। इसके अलावा ये रोग अगर तीन महीने बाद लगे तो दाने के अंकुरण को धीमा कर देता है। वहीं, अनाज की उपज को कम करता है।

बचाव के उपाय

इस रोग के लगने पर खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था करें। साथ ही धान की फसल में कार्बेंडाजिम 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण प्रति 5 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें। इससे आपकी फसल को नुकसान नहीं होगा और ये रोग फसलों पर नहीं दिखेंगे।

पत्र लपेटक कीट के लक्षण

पत्र लपेटक
पत्र लपेटक

भारी बारिश की वजह से धान की फसल में पत्र लपेटक कीट लगने लगे हैं। पत्र लपेटक कीट को पत्ती लपेटक कीट भी कहा जाता है, ये कीट पत्तियों का बचा-खुचा रस चूस जाते हैं और फसल को बर्बाद कर देते हैं। वहीं, इस रोग के लगने पर पत्तियों का मुड़ना और लपेटना, पत्तियों पर सफेद या भूरे रंग के धब्बे हो जाते हैं।

बचाव के उपाय

धान की फसल में पत्र लपेटक कीट लगने पर फसल की सिंचाई न करें। इसके अलावा पत्तियों को हिलाकर या 10 मीटर लंबी रस्सी को खेत में घुमाकर कीटों को गिराया जा सकता है। साथ ही इस कीट के लगने पर कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी दानेदार 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में छिड़काव करें।