- आधा दर्जन गांवों में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से किया संवाद
(Jind News) जींद। कृषि विज्ञान केंद्र पांडु पिंडारा एवं कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा बुधवार को विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत गांव रधाना, सिंध्वीखेड़ा व खरकरामजी गांवों में किसानों से रूबरू हुए। कृषि विज्ञान केंद्र पांडु पिंडारा के डॉ. धीरज पंघाल ने बताया कि किसान वर्ग के कल्याणार्थ एवं उनकी समस्याओं को जानने व उनके निदान के लिए बहुत बड़े स्तर पर यह अभियान चलाया जा रहा है।
किसान और वैज्ञानिक एक-दूसरे के पूरक
किसान और वैज्ञानिक एक-दूसरे के पूरक हैैं। जहां किसान वहीं वैज्ञानिक होते हैं तथा कृषि क्षेत्र में दोनों का महत्व है। इस अभियान के लिए जिले में तीन टीमें गठित की गई हैं। कार्यक्रम के तहत पहली टीम में शामिल भारतीय परिषद कृषि अनुसंधान, नई दिल्ली से डॉ. अश्विनी कुमार, डॉ. भास्कर, डॉ. जोगेंद्र, डॉ. राजेश मौसम वैज्ञानिक, सुरेंद्र मित्तल, पशुपालन एवं डेयरी विभाग से डॉ. महावीर गोदारा पशु चिकत्सक शामिल रहे।
उन्होंने धान में बीजोपचार का महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 10 लीटर पानी में 10 ग्राम कार्बेन्डाजिम व 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लिन घोल लें और इस घोल में 10 से 12 किलोग्राम बीज 24 घंटे तक भिगोएं। इसके बाद बीज को घोल से निकाल कर छाया में पक्के फर्श या बोरी पर ढेर के रूप में डालें व गीली बोरी से 24 से 36 घंटे तक ढक दें। समय-समय पर बीज पर पानी छिड़क कर बीज को गीला रखें ताकि अंकुरण हो सके।
मिट्टी व पानी की जांच करवाने तथा मृदा स्वास्थ्य कार्ड के महत्व पर जानकारी दी
इस टीम ने गांव डूमरखां कलां, डूमरखा खुर्द व तरखां गावों के किसानों को जागरूक किया। उन्होंने मिट्टी व पानी की जांच करवाने तथा मृदा स्वास्थ्य कार्ड के महत्व पर जानकारी दी। इंजीनियर रवि ने मशीनों व कृषि यंत्रों की विस्तृत जानकारी दी। इस टीम में शामिल राष्ट्रीय पशु अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो से डॉ. रीना अरोड़ा ने पशुओं में अनुवांशिकता संबंधित जानकारी दी। बागवानी से डॉ. सुरेश राणा ने बेल वाली सब्जियों को उगाने की नई तकनीकों पर बताया।
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल से डॉ. सुमित अरोड़ा ने दूध से बनने वाले विभिन्न उत्पादों व उनकी मार्केटिंग के बारे में बताया। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के ब्लॉक कृषि अधिकारी डॉ. रवि कादियान ने विभिन्न विभागीय स्कीमों की जानकारी दी। डॉ. राकेश सेठ ने बासमती धान की नई किस्मों पूसा बासमती 1847, 1885 व 1886 की जानकारी दी। डॉ. प्रीति मलिक ने प्राकृतिक खेती बारे जानकारी दी। इस टीम ने आज गांव निडानी, निडाना व पड़ाना गावों के किसानों को जागरूक किया।
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