कहा, दोनों देशों के बीच जल्द होंगे समझौते पर हस्ताक्षर, 2030 तक दोनों देशों के बीच 500 अरब डॉलर व्यापार का है लक्ष्य
India-US Trade Deal (आज समाज), बिजनेस डेस्क :भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक बार फिर इस बात को दोहराया है कि द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के लिए अमेरिका के साथ बातचीत अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा कि जल्द ही दोनों देश व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे और यदि सब सही रहा तो दोनों देशों के बीच 2030 तक आपसी व्यापार बढ़कर 500 अरब अमेरिकी डॉलर हो जाएगा। गोयल के इस बयान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हफ्ते के शुरू में संकेत दिए थे कि भारत और अमेरिका जल्द ही व्यापार समझौता कर सकते हैं।
अमेरिका और ईयू दोनों के साथ चल रही वार्ता
पीयूष गोयल ने एक कार्यक्रम में कहा, हम यूरोपीय संघ (ईयू) और अमेरिका दोनों के साथ व्यापार समझौतों के लिए बातचीत के अंतिम चरण में हैं। गौरतलब है कि अमेरिका ने रूस से तेल खरीद के लिए भारत पर 25 प्रतिशत का दंडात्मक शुल्क लगाया है, जो अमेरिकी बाजारों में भारतीय उत्पादों पर मौजूदा 25 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क के अतिरिक्त है। भारत ने इस 50 प्रतिशत टैरिफ को अनुचित और अवांछित करार दिया है।
अमेरिका की भारत ने यह शर्त भी लगभग मान ली
अमेरिका के दबाव के चलते भारत ने रूस से कच्चे तेल के आयात में कमी कर दी है। ज्ञात रहे कि भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने रूस से कच्चा तेल आयात लगभग बंद कर दिया है। सरकारी कंपनियां अब रूस के बजाय और कुछ विकल्प के लिए हाजिर बाजार का रूख कर रही हैं। इसके साथ ही रूस की जगह अमेरिका और अबुधाबी से कच्चा तेल खरीदने पर जोर दे रही हैं।
ट्रंप ने दी थी भारत को चेतावनी
ज्ञात रहे कि अमेरिका पिछले कुछ माह से भारत पर लगातार दबाव बना रहा था कि वह रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद करे। भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने पर अमेरिका ने भारत पर अगस्त में उच्च टैरिफ लगाए थे। इसके बाद अमेरिका ने भारत को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी थी कि यदि भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद न किया तो वह भारत के साथ व्यापार समझौता नहीं करेगा और कठोर आर्थिक प्रतिबंध भी लगाएगा।
वहीं गत दिनों डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया था कि भारत ने रूस से तेल की खरीद में उल्लेखनीय कमी की है। उन्होंने कहा कि इस मोर्चे पर भारत बहुत अच्छा कर रहा है। ट्रंप ने यह टिप्पणी एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपीईसी) सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में की थी।


