India Afghanistan Relations: अमीर खान मुत्ताकी का दौरा भारत व अफगानिस्तान के संबंधों में एक नया अध्याय

0
102
India Afghanistan Relations
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी (बाएं) ।

Amir Khan Muttaqi India Visit, (आज समाज), नई दिल्ली/काबुल: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी भारत के छह दिवसीय दौरे पर गुरुवार को नई दिल्ली पहुंचे हैं और उनकी इस यात्रा से भारत और तालिबान सरकार के रिश्तों में एक नया आयाम जुड़ने की उम्मीद है। इसे भारत-अफगान के संबंधों में एक नया अध्याय माना जा रहा है।

शासन को मान्यता नहीं दी, फिर भी भारत पहुंचे हैं मंत्री

बता दें कि भारत ने अफगानिस्तान तालिबान शासन को अभी तक मान्यता नहीं दी है और इसके बावजूद मुत्ताकी भारत पहुंचे हैं, इसलिए उनका यह दौरा बेहद खास समझा जा रहा है। चीन-पाकिस्तान के साथ अमेरिका की भी अफगानिस्तान के विदेश मंत्री के भारत दौरे पर निगाहें हैं। इसका कारण यह है कि भारत-अफगानिस्तान के बेहतर रिश्ते अफगानिस्तान में अमेरिका व चीन के हितों को प्रभावित कर सकते हैं।

डोभाल और जयशंकर के साथ करेंगे मुलाकात

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री 16 अक्टूबर तक भारत में रहेंगे। वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुलाकात करेंगे और इस दौरान दोनों पक्षों के बीच अफगानिस्तान में भारत के निवेश द्विपक्षीय संबंध व वीजा नियमों में आसानी आदि अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि वह मुत्ताकी के साथ द्विपक्षीय रिश्तों व क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा को लेकर उत्सुक हैं।

मुत्ताकी के दौरे से पाक को मिर्ची लगने की जानें वजह

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्ताकी के भारत दौरे से पाकिस्तान को इसलिए मिर्ची लगेगी क्योंकि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को अपना सहयोगी माना है जबकि सत्ता संभालने के बाद तालिबान सरकार ने खुद को पाक पर निर्भर न रहने की हमेशा कोशिश की है। तालिबान अब भारत के साथ सुरक्षा, आर्थिक, सुरक्षा व इंफ्रास्ट्रक्चर सहयोग को प्राथमिकता दे रहा है। इससे इस्लामाबाद का वो पारंपरिक प्रभाव कम होगा जो तालिबान के शासन में उसके आंतरिक व सीमा सुरक्षा हितों के लिए लाजिमी था। बता दें कि पाकिस्तान हमेशा काबूल को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की जुगत में रहता है।

अफगानिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में तल्खी की वजह

अमेरिका और अफगानिस्तान के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं है। इसका कारण अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान स्थित बेहद अहम बगराम एयरबेस पर दोबारा कब्जा करने की कोशिश है। राष्ट्रपति ट्रंप ने एयरबेस पर पुन: कब्जा करने की इजाजत मांगी है जिसका तालिबान सरकार विरोध कर रही है। उसने इसे यूएस को देने से साफ इनकार कर दिया है। रूस भी इस मामले में अफगानिस्तान के समर्थन में है। पाक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रूस भी नहीं चाहता है कि बगराम एयरबेस पर अमेरिका का कब्जा हो।  बता दें कि एकमात्र रूस ने अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता दी है।

पाकिस्तान भी नहीं चाहता कि बगराम एयरबेस पर यूएस का कब्जा

वहीं पाकिस्तान भी नहीं चाहता कि बगराम एयरबेस पर अमेरिका का कब्जा हो। ट्रंप ने इस एयरबेस की मांग कर दक्षिण एशिया में खलबली मचा दी है। उनकी इस मांग ने चीन को भी टेंशन में डाल दिया है। पाकिस्तान को इस बात का डर है कि अगर अमेरिका को यह एयरबेस मिला तो वह इस बहाने इस्लामाबाद की गर्दन पर सवार होकर आसानी से उसकी निगहबानी कर सकता है। इसी वजह से पाकिस्तान ने ट्रंप की इस मांग पर आपत्ति जताई है।

भारत-अफगान के बेहतर रिश्तों से जानें क्या है चीन की चिंता

चीन अफगानिस्तान विदेश मंत्री मुत्ताकी के भारत दौरे को चुनौती की तरह मानता है। चीन को इस बात की चिंता है कि अगर भारत-तालिबान के रिश्ते प्रगाढ़ होंगे तो इससे उसकी बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट्स (सीपैक) परियोजना व अफगानिस्तान में निवेश पर दबाव आ सकता है। अगर भारत अफगान नीति में बेहतर भूमिका निभाता है, तो चीन को सीपैक पर भी रणनीतिक खतरा महसूस होगा।

यूएनएससी ने दी है भारत यात्रा की इजाजत

बता दें कि मुत्ताकी पिछले माह भारत आने वाले थे, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रतिबंधों के चलते यह संभव नहीं हो पाया। इसके बाद भारत की पहल पर यूएनएससी समिति ने मुत्ताकी को 9 से 16 अक्टूबर तक भारत दौरे पर जाने की अनुमति देते हुए यात्रा प्रतिबंध में अस्थायी छूट की इजाजत दी है। बता दें कि इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस साल 15 मई को फोन पर मुत्ताकी से बात की थी। यह 2021 में तालिबान द्वारा सत्ता संभालने के बाद से नई दिल्ली व काबुल के बीच उच्चतम स्तर का संपर्क था।

यह भी पढ़ें: US Pak Relations: यूएस का पाकिस्तान को नई आधुनिक मिसाइलें देने से इनकार