IMD Alert: केदारनाथ और बद्रीनाथ में भी बर्फबारी, बढ़ी ठंड, उत्तर भारत के पहाड़ों में अभी और हिमपात का अनुमान

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IMD Alert: केदारनाथ और बद्रीनाथ में बर्फबारी के कारण बढ़ी ठंड, उत्तर भारत के पहाड़ों में अभी और हिमपात का अनुमान
  • हिमाचल के कई शहरों में तापमान में भारी गिरावट

North India Weather Update, (आज समाज), नई दिल्ली: उत्तर भारत के पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की पहाड़ियां अक्टूबर शुरू होते ही बर्फ से ढक गई हैं। रविवार के बाद सोमवार को भी हिमाचल, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली-एनसीआर में काफी देर तक बारिश हुई जबकि पहाड़ों में इस दौरान लगातार बर्फबारी होती रही जिससे उत्तर भारत के पहाड़ों से लेकर मैदानों तक ठंड ने दस्तक दे दी है। इसके अलावा में जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) भी बारिश और बर्फबारी हुई है।

ऊंचाई वाले इलाकों में मध्यम से भारी बारिश की संभावना

स्काईमेट वेदर (Skymet Weather) का कहना है कि हिमाचल और उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में 8 अक्टूबर तक मध्यम से भारी बारिश और कुछ जगहों पर बर्फबारी जारी रहने की उम्मीद है। हिमाचल में कांगड़ा व जिले के धर्मशाला, मैक्लोडगंज, पालमपुर और चंबा सहित हिमाचल के कई शहरों में तापमान में पहले ही भारी गिरावट दर्ज की गई है। कुछ जगह न्यूनतम तापमान एक अंक तक गिर गया है। मैक्लोडगंज में 9.8 डिग्री, डलहौजी में 8.6 डिग्री और धर्मशाला में 16.5 डिग्री दर्ज किया गया है।

गुलमर्ग में 2 अक्टूबर को हुई सीजन की पहली बर्फबारी

जम्मू-कश्मीर का गुलमर्ग जैसा लोकप्रिय हिल स्टेशन भी अक्टूबर के पहले सप्ताह में बर्फबारी के बाद सफेद परिदृश्य में बदल गया है। पर्यटक शुरूआती बर्फबारी देखकर रोमांचित हो गए हैं। वहीं स्थानीय लोगों ने बारिश व बर्फबारी ेके बाद बीते कई सप्ताह से जारी उमस के बाद चलीं ठंडी हवाओं का स्वागत किया है। गुलमर्ग में 2 अक्टूबर को सीजन की पहली बर्फबारी दर्ज की गई थी। इसके अलावा सिंथन टॉप, रोहतांग दर्रा और धौलाधार पर्वतमाला जैसे अन्य क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बर्फबारी हुई है। इसके बद चल रही ठंडी हवाओं व बर्फ का नजारा पूरे उत्तर भारत से पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है।

ला नीना के प्रभाव से हो सकती है कड़ाके की ठंड

मौसम विज्ञानियों के अनुसार दिल्ली और एनसीआर सहित समूचे उत्तर भारत में इस साल ला नीना की वजह से सामान्य से ज्यादा सर्दी पड़ सकती है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अधिकारियों का कहना हैथ् क अक्टूबर और दिसंबर के बीच ला नीना विकसित होने की उम्मीद है। आईएमडी महानिदेशक एम. महापात्रा ने कहा, अगले कुछ महीनों में ला नीना की स्थिति बनने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि विस्तृत तापमान पूवार्नुमान जल्द ही जारी किया जाएगा।

जानिए क्या होता है ला नीना

ला नीना प्रशांत महासागर के सतही जल के प्राकृतिक रूप से ठंडा होने को कहते हैं, जो वैश्विक वायु और वर्षा के पैटर्न को प्रभावित करता है। आमतौर पर, यह अल नीनो के गर्म प्रभाव के विपरीत, कई क्षेत्रों में ठंडी और आर्द्र स्थितियाँ लाता है। राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) ने हाल ही में कहा है कि अक्टूबर और दिसंबर के बीच ला नीना विकसित होने की 71 प्रतिशत संभावना है, हालांकि दिसंबर और फरवरी के बीच यह संभावना घटकर 54 फीसदी रह जाती है।

पश्चिमी विक्षोभ को तीव्र कर सकता ला नीना

मौसम विज्ञानियों के मुताबिक ला नीना (La Nina) पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) को तीव्र कर सकता है, जिससे उत्तरी पहाड़ियों में भारी बर्फबारी हो सकती है और मैदानी इलाकों में ठंडी हवाएं चल सकती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक हालांकि आगामी सर्दी कठोर नहीं होगी, पर यह सामान्य से काफी ठंडी होने की संभावना है। ला नीना वर्षों के दौरान, बर्फबारी अक्सर बढ़ जाती है और पश्चिमी विक्षोभ अधिक सक्रिय हो जाते हैं, जिससे पूरे उत्तर भारत में ठंड बढ़ जाती है।

ठंडी उत्तरी हवाओं के प्रवाह को बाधित कर सकते हैं पश्चिमी विक्षोभ

आईएमडी ने यह भी कहा कि कई कमजोर पश्चिमी विक्षोभ ठंडी उत्तरी हवाओं के प्रवाह को बाधित कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप लंबे ठंडे दौर के बजाय सामान्य से कम तापमान के छोटे दौर आ सकते हैं। हालांकि ला नीना आमतौर पर ठंडी सर्दियों का संकेत देता है, विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग इसके प्रभावों को कम कर रही है। विशेषज्ञों ने बताया, अतीत में, ला नीना ग्रह को काफी ठंडा कर देता था, लेकिन अब यह निश्चित नहीं है। बदलते जलवायु पैटर्न इस तरह की प्राकृतिक घटनाओं के प्रति वायुमंडल की प्रतिक्रिया के तरीके को बदल रहे हैं।

डब्ल्यूएमओ ने भी किया है आगाह

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने भी आगाह किया है कि अल नीनो और ला नीना जैसे प्राकृतिक जलवायु पैटर्न अब मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में सामने आ रहे हैं, चरम मौसम की घटनाओं को बढ़ा रहे हैं और दुनिया भर में मौसमी रुझानों को बदल रहे हैं।

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