Uttar Pradesh Breaking : अगर यह एक कांस्टेबल का घर है, तो सोचिए…!! ‘महलनुमा’ घर को देख ED भी हैरान, पढ़ें क्या है पूरा मामला 

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Uttar Pradesh Breaking : अगर यह एक कांस्टेबल का घर है, तो सोचिए…!! 'महलनुमा' घर को देख ED भी हैरान, पढ़ें क्या है पूरा मामला 
Uttar Pradesh Breaking : अगर यह एक कांस्टेबल का घर है, तो सोचिए…!! 'महलनुमा' घर को देख ED भी हैरान, पढ़ें क्या है पूरा मामला 

Uttar Pradesh Breaking, (आज समाज), लखनऊ : लखनऊ की सबसे पॉश कॉलोनियों में से एक, सुशांत गोल्फ सिटी में बने एक महलनुमा मकान को देख सब हैरान है, हैरानी की वजह है कि यह ‘महल’ यूपी पुलिस के एक बर्खास्त कांस्टेबल आलोक प्रताप सिंह का है। आलोक प्रताप जो अब खांसी की दवा की तस्करी के रैकेट चलाने के आरोप में हिरासत में है। एक एंट्री-लेवल कर्मचारी, जिसकी मासिक तनख्वाह मुश्किल से 40,000 रुपये रही होगी, फिर भी इतना भव्य घर जिसमें रहने का सपना भी अमीर लोग आसानी से नहीं देखते।

तकरीबन 7 हजार वर्गफीट में बना ये ‘महल जैसा’ घर

जहां एक तरफ देश का युवा 10 से 20 हजार की नौकरी के लिए धक्के खा रहे हैं, वहीं दूसरी सरकारी नौकरी से बर्खास्त एक भ्रष्टाचारी ऐसी राजसी शानो शौकत के साथ जिंदगी बिता रहा है, जिसका सपना खुद उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया भी देखने की हिम्मत नहीं जुटा सकते। लखनऊ में तकरीबन 7 हजार वर्गफीट में बना ये ‘महल जैसा’ घर है, घर में ऊंचे-ऊंचे खंभे हैं, रेलिंग पर भी सजावट है, पहली मंजिल पर काफी जगहदार बालकनी है। ग्राउंड फ्लोर पर जो कमरे बने हैं, उनमें कांच के दरवाजे लगे हैं। विंटेज लुक देती लाइटें हैं, किनारे पार्किंग एरिया है।

इसे बनाने में तो करोड़ों खर्च हुए होंगे

वहीं से ऊपर जाने के लिए बनी हैं घुमावदार सीढ़ियां। बाहर का गेट तो दंग करने वाला है. विशालकाय और काफी मजबूत, बगल में कुछ पौधों की कतारें, देखकर लगता है किसी बड़े उद्योगपति का घर होगा या किसी बहुत बड़े अफसर या नेता का। इसे बनाने में तो करोड़ों खर्च हुए होंगे, लेकिन हैरान होने वाली बात ये नहीं है। हैरान करने वाली बात तो ये है कि एक मामूली से सिपाही ने राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके ये महल कैसे खड़ा कर लिया, जो गोमतीनगर से सिर्फ 10 किमी की दूरी पर अहमामऊ इलाके में, गोमतीनगर एक्सटेंशन में ही यूपी पुलिस का मुख्यालय भी है। वहां से अहमामऊ की दूरी ज्यादा से ज्यादा 5 किमी होगी।

एक यूजर ने लिखा ‘क्या यह एक कांस्टेबल का घर है?’ 

वहीं सोशल मीडिया पर भी इस महलनुमा घर की वीडियो खूब वायरल हो रही है, जिसे देखा सोशल मीडिया यूजर्स की प्रतिक्रियाएं भी  सामने आ रही है। आलीशान घर का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया यूज़र्स हैरान रह गए। एक यूजर ने लिखा ‘क्या यह एक कांस्टेबल का घर है?’ उल्लेखनीय है कि यह वीडियो, जिसे प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा कोडाइन-आधारित कफ सिरप की तस्करी नेटवर्क से जुड़े छापों के दौरान बड़े पैमाने पर शेयर किया गया, इसमें एक विशाल बहुमंजिला बंगला दिखाया गया है, जिसका इंटीरियर और बाहरी हिस्सा एक ऐसे कांस्टेबल की कमाई से कहीं ज़्यादा लगता है, जो महीने में लगभग 40,000 रुपये कमाता है। “क्या यह एक कांस्टेबल का घर है? अगर यह एक कांस्टेबल का घर है, तो सोचिए…” एक यूज़र ने कमेंट किया, जो ऑनलाइन हज़ारों लोगों के अविश्वास को दिखाता है।

‘शैली ट्रेडर्स’ नाम की फ़र्म के ज़रिए एक बड़ा डायवर्जन ऑपरेशन चला रहा था

गौरतलब है कि यूपी पुलिस से बर्खास्त आलोक प्रताप सिंह को 2 दिसंबर को राज्य टास्क फोर्स ने फेंसिडिल और अन्य कोडाइन-आधारित सिरप के अवैध भंडारण, डायवर्जन और तस्करी में शामिल एक अंतरराज्यीय नेटवर्क में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था। जांच में पता चला कि सिंह को आज़मगढ़ के विकास सिंह के ज़रिए वाराणसी के सरगना शुभम जायसवाल से मिलवाया गया था। बताया जाता है कि जायसवाल रांची से ‘शैली ट्रेडर्स’ नाम की फ़र्म के ज़रिए एक बड़ा डायवर्जन ऑपरेशन चला रहा था, और सिरप की तस्करी पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में करता था।

ED ने वित्तीय जांच का दायरा बढ़ा दिया

सिंह ने अपने साथी अमित कुमार सिंह के साथ इस धंधे में निवेश किया और कथित तौर पर अपनी आधिकारिक कमाई से कहीं ज़्यादा मुनाफ़ा कमाया। अधिकारियों ने बताया कि धनबाद में श्रेयसी मेडिकल एजेंसी और वाराणसी में मां शारदा मेडिकल नाम की फ़र्ज़ी मेडिकल फ़र्म सिंह की पहचान और जाली लाइसेंस का इस्तेमाल करके बनाई गई थीं। इन कंपनियों ने नियंत्रित पदार्थों की अवैध बिक्री को आसान बनाने के लिए फ़र्ज़ी इनवॉइस और ई-वे बिल बनाए। सिंह ने स्वीकार किया कि उन्होंने और अमित ने 5 लाख रुपये का निवेश किया और इस अवैध धंधे से 20-22 लाख रुपये कमाए। ED ने अपनी वित्तीय जांच का दायरा बढ़ा दिया है, जबकि सिंह के घर की वायरल तस्वीरें कानून प्रवर्तन में भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग पर बहस छेड़ रही हैं।

कौन है आलोक?

ये आलोक प्रताप सिंह वही सिपाही है, जिसका नाम यूपी के कोडीन वाले कफ सिरप के सप्लाई नेटवर्क में सामने आया है। सिपाही को इस केस में उसके घर के पास से ही गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद से वह जेल में है। उसे नौकरी से भी निकाल दिया गया है। प्रवर्तन निदेशालय-ED की टीम जब शुक्रवार, 12 दिसंबर को छापा मारने उसके घर पहुंची तो आलीशान बंगला देखकर हैरान रह गई।  तकरीबन 5 घंटे तक इस घर में ईडी की तलाशी चली. जांच एजेंसी ने ये तो नहीं बताया कि घर से क्या-क्या बरामद हुआ है, लेकिन इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों ने जानकारी दी है कि सिपाही के घर से कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सामान सीज किए गए हैं।

ड्यूटी पर वापसी के बाद भी आलोक पर फिर से कई आरोप लगे

बता दें कि यूपी के चंदौली जिले का रहने वाले आलोक का विवादों  पुराना नाता है। 2006 में वह लखनऊ में स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) में तैनात था। तब पहली बार वह गिरफ्तार हुआ था, केस था, प्रयागराज के एक कारोबारी के कर्मचारी से 4 किलो सोने की लूट का। इस मामले में 6 लोग गिरफ्तार हुए थे, जिसमें से आलोक भी एक था। हालांकि, सबूतों के अभाव में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था और आलोक कुमार की नौकरी भी बहाल कर दी गई थी। ड्यूटी पर वापसी के बाद भी आलोक पर फिर से कई आरोप लगे।

जो शिकायतें आईं, उसमें लापरवाही, लोगों से गलत व्यवहार और मारपीट के आरोप शामिल हैं। इन आरोपों के चलते 2019 में उसे फिर से नौकरी से निकाल दिया गया। इसके बाद वह ठेकेदार बन गया। इस दौरान वह कई राजनैतिक प्रभावशाली लोगों के साथ भी दिखा। बसपा के एक पूर्व सांसद के साथ भी उसकी फोटो सामने आई थी, जिसे लेकर विवाद भी हुआ।

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