पेडा ने इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस के साथ किया समझौता, पराली के निष्पादन का मिलेगा स्थाई हल
Punjab Breaking News (आज समाज), चंडीगढ़ : हर साल पंजाब में धान कटाई के बाद सबसे बड़ी समस्या यह सामने आती है कि धान के अवशेषों का प्रबंधन कैसे किया जाए। किसान इसका सबसे आसान उपाय निकालते हुए इनमें आग लगा देते हैं। जिससे न केवल वायू प्रदूषण फैलता है बल्कि भूमि की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है। प्रदेश सरकार हर साल इस बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाती है लेकिन कोई ज्यादा असर नहीं होता। अब इस दिशा में एक बड़ा कदम पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी (पेडा) उठाने जा रही है।
पेडा ने यह निकाला अवशेष प्रबंधन का उपाय
पंजाब में ग्रीन ऊर्जा को प्रोत्साहित करने और कृषि क्षेत्र की छवि को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी (पेडा) ने इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस (आईआईएससी), बेंगलुरु के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत राज्य में बायोमास, विशेष रूप से पराली से ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए अपनी तरह का पहला पायलट डेमोंस्ट्रेशन प्रोजेक्ट स्थापित किया जाएगा। पंजाब के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री अमन अरोड़ा के दूरदर्शी नेतृत्व में यह रणनीतिक साझेदारी आगे बढ़ाई जा रही है, ताकि पराली प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियों को ग्रीन ऊर्जा में बदलकर एक लाभदायक और टिकाऊ विकल्प के रूप में राज्य की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया जा सके।
प्रदेश में ऊर्जा क्रांति के लिए कर रहे कार्य
इस परिवर्तनकारी सहयोग के लिए पेडा को बधाई देते हुए अमन अरोड़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ऊर्जा क्रांति की दिशा में कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि आईआईएससी के साथ साझेदारी राज्य की स्वच्छ ऊर्जा नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दशार्ती है, जिसके तहत फसली अवशेषों से ग्रीन हाइड्रोजन तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पहल एक सशक्त अर्थव्यवस्था के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जो न केवल किसानों को सशक्त बनाएगी, बल्कि पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के साथ-साथ उद्योगों को कार्बन-मुक्त ईंधन भी उपलब्ध कराएगी।
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