घरों की तरफ लौट रहे लोग लेकिन अभी जिंदगी पटरी पर नहीं लौटी
Chandigarh Breaking News (आज समाज), चंडीगढ़ : इस साल मानसून सीजन के दौरान पंजाब ने व्यापक तबाही वाली बाढ़ देखी। लगभग पूरा पंजाब बाढ़ की चपेट में आया और ग्रामीण एरिया में बाढ़ ने ज्यादा तबाही मचाई। सबसे ज्यादा नुकसान किसान व पशुपालकों को उठाना पड़ा। अब जबकि अधिकांश जगह से बाढ़ का पानी उतर चुका है और लोग घरों की तरफ लौटना शुरू हो चुके हैं।
जिंदगी को दोबारा पटरी पर लौटने में अभी शायद दिन नहीं माह लग जाएं। सरकारी आंकड़ों की बात करें तो पिछले 24 घंटों के दौरान कोई जानी नुकसान नहीं हुआ और न ही कोई अन्य फसली क्षेत्र प्रभावित हुआ है। जालंधर से एक व्यक्ति लापता हो गया है। आपदा प्रबंधन मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां ने बताया कि शिविरों की संख्या 111 से घटाकर 100 कर दी गई है।
4 हजार से ज्यादा राहत शिविरों में रह रहे
इस समय 4,125 लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं जबकि एक दिन पहले यह संख्या 4,585 थी। कैबिनेट मंत्री ने बताया कि जालंधर से एक व्यक्ति के लापता होने की रिपोर्ट आई है, जबकि पठानकोट से तीन व्यक्ति अब भी लापता हैं। जैसे-जैसे पानी और घटता जाएगा, आने वाले दिनों में पशुओं और बुनियादी ढांचे के असली नुकसान का पता लगाया जाएगा। पंजाब के निचले इलाके के लोगों के लिए पौंग बांध की तरफ से चेतावनी जारी की गई है। पानी की आवक के बढ़ने की आशंका के चलते झील से पानी की निकासी में बढ़ोतरी करते हुए 50 हजार क्यूसिक तक कर दी गई है।
जनजनित बीमारियां फैलने का बना है डर
पंजाब में पिछले करीब 15 दिन से बाढ़ का पानी फैला हुआ है। हालांकि अब ज्यादात्तर जगहों से पानी कम हो चुका है और लोग अपने घरों की तरफ लौट रहे हैं। ऐसे में एक तरफ जहां लोगों को बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई की चिंता सता रही है। वहीं जलजनित खतरनाक बीमारियों के फैलने का अंदेशा भी बना हुआ है। इन खतरों में सबसे ज्यादा है बाढ़ में मरे जानवरों के शवों से फैलने वाली बीमारियों का।
स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार रख रही निगरानी
अमृतसर में रावी दरिया में आई बाढ़ के बाद अब भले ही धीरे-धीरे पानी निकल रहा है लेकिन पानी निकलने से वहां पर सैकड़ों की संख्या में मारे गए पशुओं के कारण कई तरह की बीमारियां फैलनी शुरू हो गई हैं। प्रशासन और सेहत विभाग की टीमें लगातार लोगों का चेकअप करने में जुटी हैं और हर एक इलाके पर नजर रखी जा रही है। इसके अलावा इलाके में सुअरों को लेकर भी खतरा बना हुआ है। सुअरों में रिकन स्वाइन फीवर फैल रहा है। ऐसे में बाढ़ प्रभावित इलाकों में सुअर, या उनका मांस लाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है।
अभी तक 55 लोगों की हो चुकी मौत
बाढ़ की वजह से मरने वालों की संख्या 55 हो चुकी है। वीरवार को फाजिल्का और मानसा जिले में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई। पठानकोट में लापता हुए लोगों का अभी तक कोई पता नहीं चला है। आपदा प्रबंधन मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां ने यह जानकारी दी। पानी भले ही उतरने लगा है लेकिन बाढ़ का कहर जारी है। बाढ़ प्रभावित गांवों की संख्या 2214 हो गई है जबकि प्रभावित व्यक्तियों की संख्या 3,88,508 तक पहुंच गई है।
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