- 150 नर्सों ने पूरी की इंटरनेशनल स्ट्रोक ट्रेनिंग
Faridabad News (आज समाज) ग्रेटर फरीदाबाद। यहां के सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड सुपरस्पेशलिटी अस्पताल ने हेल्थकेयर क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल की 150 से नर्सों ने वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गनाइजेशन समर्थित एंजेल्स इनिशिएटिव के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर की इंटरनेशनल स्ट्रोक ट्रेनिंग पूरी की है। इस उपलब्धि के साथ एकॉर्ड अस्पताल नॉर्थ इंडिया का पहला ऐसा संस्थान बन गया है, जिसने इतनी बड़ी संख्या में नर्सिंग स्टाफ को इंटरनेशनल स्ट्रोक केयर की ट्रेनिंग दिलाई है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम लगातार रहेंगे जारी
अस्पताल के चेयरमैन डॉ. जितेंद्र कुमार ने इस उपलब्धि के लिए न्यूरोलॉजी टीम ओर नर्सों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि एकॉर्ड हमेशा से मरीजों की सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता आया है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भी ऐसे उन्नत प्रशिक्षण कार्यक्रम लगातार जारी रहेंगे, ताकि फरीदाबाद को आधुनिक और विश्वस्तरीय हेल्थकेयर सुविधाओं वाला शहर बनाया जा सके।
इस बड़ी उपलब्धि को लेकर बुधवार को अस्पताल में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों ने बताया कि यह ट्रेनिंग नर्सों को स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण पहचानने, मरीज को तुरंत प्रतिक्रिया देने और प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने में सक्षम बनाती है। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद एंजेल्स इनिशिएटिव की ओर से सभी नर्सों को प्रमाणपत्र दिए गए। यह प्रशिक्षण अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों थॉमस हिस्टर, थॉमस फिशर और जैन वान डेर मेरवे के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।
नर्सों की पेशेवर दक्षता को किया मजबूत
अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ. रोहित गुप्ता ने बताया कि इस प्रशिक्षण ने नर्सों की पेशेवर दक्षता को और मजबूत किया है। उन्होंने कहा, स्ट्रोक उपचार में हर मिनट कीमती होता है। प्रशिक्षित नर्सें तुरंत सही निर्णय लेकर मरीज का जीवन बचाने में अहम भूमिका निभाती हैं।
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. संदीप घोष ने कहा कि इस ट्रेनिंग से अस्पताल की स्ट्रोक यूनिट और अधिक सशक्त हुई है, जिससे मरीजों को विश्वस्तरीय सुविधा मिल रही है। डॉ. मेघा शारदा ने कहा कि नर्सिंग टीम की सक्रिय भागीदारी से अब अस्पताल में स्ट्रोक के प्रत्येक केस को वैज्ञानिक और समयबद्ध तरीके से संभाला जा रहा है। नर्सिंग इंचार्ज शर्ली ने बताया कि ट्रेनिंग ने नर्सों को न केवल तकनीकी रूप से सशक्त किया है, बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी बढ़ाया है।


