Editorial Aaj Samaaj | राजीव रंजन तिवारी | बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के सर्वेसर्वा नीतीश कुमार देश के सुलझे हुए नेताओं में शुमार किए जाते हैं। उनकी पहचान साफ-सुथरी छवि वाले नेताओं में है। न जाने क्यों कभी कभार वे कुछ हरकतें इस तरह की कर देते हैं, जिससे उनकी छवि पर सवाल उठने लगता है। फलस्वरूप उनके चाहने वालों को मलाल होती है और लोग पूछने लगते हैं कि नीतीश बाबू, आखिर आप इ सब काहे करते रहते हैं। इसका जवाब भी कहीं से स्पष्ट रूप से नहीं मिलता। नतीजतन, तमाम तरह के भ्रम पैदा होते हैं और नीतीश बाबू के बारे में लोग अनाप-शनाप बकने लगते हैं। ताजा मामला तो आप जानते ही हैं। सोशल मीडिया पर इसे लेकर खूब हल्ला मचा हुआ है।

सबसे पहले ताजा मामले को समझते हैं। नीतीश कुमार ने 15 दिसंबर को आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र देते हुए एक मुस्लिम महिला डॉक्टर के चेहरे से हिजाब खींच दिया था। नीतीश का यह व्यवहार भारत समेत कई मुस्लिम बहुल देशों में चर्चा का विषय बन गया। तुर्की से लेकर कतर तक इसकी आलोचना हुई। पाकिस्तान में भी लोग कहने लगे कि भारत में मुसलमान होना आसान नहीं है। नीतीश करीब दो दशक से बिहार के मुख्यमंत्री हैं और उनकी पहचान इस व्यवहार से मेल नहीं खाती है। ऐसे में भारत की विपक्षी पार्टियां भी कह रही हैं कि नीतीश कुमार की सेहत अब किसी अहम सरकारी पद के लायक नहीं है।
नीतीश बीजेपी की अगुवाई वाले राजग सरकार में अहम साझेदार हैं। अल जज़ीरा की अरबी भाषा की वेबसाइट ने लिखा है कि इस घटना ने भारत में मुसलमानों के खिलाफ व्याप्त नस्लवाद की बहस को फिर से सामने ला दिया है। हालांकि वे देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं, फिर भी उन्हें कई स्तरों पर भेदभाव का शिकार बनाया जाता है। मिडिल ईस्ट इवेंट्स नामक मीडिया संस्थान ने भी नीतीश का वीडियो शेयर करते हुए पूरी घटना का ज़िक्र किया है। उसने लिखा है कि क्या आप जानते हैं कि भारत में करीब 22 करोड़ मुसलमान हैं।
इस्लामी स्कॉलर्स भी इस घटना पर टिप्पणी कर रहे हैं। एक स्कॉलर्स ने एक्स पर लिखा कि मैं इस घटना को गरिमा पर आक्रमण के रूप में देखता हूं। इसे ऐसे राज्य का संकेत मानता हूं जो भिन्नता से डरता है और कमजोर लोगों पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करता है। जो सत्ता आज हिजाब हटा रही है, वो कल किसी भी ऐसे अधिकार को छीन लेगी जो उसे पसंद नहीं। पाकिस्तान के द डॉन ने लिखा है कि भारत-पाक दोनों देशों में इस पर रोष है। इसकी गंभीरता को समझने के लिए किसी विशेष धर्म से संबंधित होना ज़रूरी नहीं। अल-अरबिया टीवी ने लिखा कि मुस्लिम महिला ने नकाब से अपना चेहरा ढका है। इसका सम्मान करें!
खैर, जो भी है, पर यह ठीक नहीं। भारत में ऐसी चीजें होती हैं तो निश्चित तौर पर देश की छवि प्रभावित होता है। प्रतिक्रिया दो तरह की होती है। एक स्टेट की और दूसरे स्ट्रीट की। नीतीश के मामले में अरब के देश वैसी प्रतिक्रिया नहीं देंगे क्योंकि उनके यहां बहु-सांस्कृतिक माहौल नहीं है। लेकिन पश्चिम एशिया के आम लोगों में भारत की छवि अच्छी रही है। मिस्र और अल्जीरिया जैसे देशों में स्टूडेंट्स के स्टडी रूम में महात्मा गांधी की तस्वीर दिख सकती हैं। पश्चिम एशिया के आम लोगों में भारत की छवि बहु-सांस्कृतिक, बहुभाषिक व बहुधार्मिक लोकतंत्र की है। भारत में धर्म के आधार पर हमला होता है, तो इस छवि पर असर पड़ता है। फिलहाल, दुनिया में दो मुद्दे इस्लामोफोबिया और एंटी सेमिटिज्म का संवेदनशील हो गए हैं।
नीतीश वाले ताजा मामले को लेकर कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि भारत की 12 साल पहले जो छवि थी, वो टूट चुकी है। किसी भी देश की आंतरिक राजनीति में कुछ होता है तो दुनिया के ज्यादातर देश बोलने से बचते हैं। लेकिन इसका मनोवैज्ञानिक असर तो पड़ता ही है। 12 साल पहले भारत की छवि थी कि यहां हर इंसान को बराबरी का अधिकार है और किसी से भेदभाव नहीं होता। भारत की छवि मल्टीकल्चरल ऑर्डर वाली थी। यह सभी जानते हैं कि नीतीश ने जो किया, वह उसका उनकी राजनीति से मेल नहीं है, लेकिन फिलहाल राजनीति में जो कुछ हो रहा है, यह उसी की निरंतरता में दिख रहा है। भारत अब ज्यादा अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति के साथ वैश्विक प्रभाव के बारे में बात करता है।
भारत ने पूरा डिस्कोर्स शिफ्ट कर दिया है। तुर्की को छोड़कर कोई भी मुस्लिम देश भारत के मामले में नहीं बोलता। ज्यादातर देश इसलिए भी चुप रहते हैं कि उनका भी घरेलू मामला बहुत आदर्शवादी नहीं है। तुर्की का एक स्ट्रैटिजिक एजेंडा है, इसलिए वह कुछ न कुछ करते रहता है। दुनिया बदल रही है। पश्चिम की एकता टूट रही है। पश्चिम के जो मूल्य थे, वो नहीं रहे। अमेरिका का जो रूतबा था, वो भी नहीं रहा। जिन देशों को मिडिल पावर कहते थे, वे ताकत दिखा रहे हैं। भारत भी उन्हीं में से है। भारत जिस तरह से बदल रहा है, वो उसी बदलती दुनिया के साथ है। ऐसे में लोग भारत को किस रूप में ले रहे हैं, वह स्पष्ट नहीं है। भारत में एक तरीके का पॉपुलिस्ट मूवमेंट चल रहा है।
खैर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक कार्यक्रम में महिला का सरेआम हिजाब खींचकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। अब विपक्ष के साथ सोशल मीडिया यूजर्स भी इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब नीतीश कुमार इस तरह के अजीबोगरीब व्यवहार के कारण विवादों में आए हों। विधानसभा चुनाव के दौरान विपक्षी दलों के कई नेताओं ने उनका मानसिक संतुलन बिगड़ने का भी आरोप लगाया था। याद कीजिए, मार्च में पटना के स्टेडियम में एक कार्यक्रम चल रहा था। इसी दौरान राष्ट्रगान की घोषणा होने पर नीतीश मंच से उतरकर खिलाड़ियों से बात करने लगे। जब राष्ट्रगान बजा तो वह अपने प्रधान सचिव से बात करने की कोशिश करते रहे।
इसी तरह 18 जनवरी 2025 में प्रगति यात्रा के दौरान नीतीश ने महिलाओं को लेकर बयान दिया था, जिस पर भी विवाद हो गया था। इसके बाद 30 जनवरी को महात्मा गांधी की स्मृति में मौन रखने के बाद नीतीश अचानक ताली बजाने लगे। मार्च 2025 में नीतीश होली मिलन समारोह में भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद के पैर छूने लगे। पिछले साल 19 जून को नालंदा में एक कार्यक्रम के दौरान मंच पर नीतीश जब पीएम मोदी की हथेली देखने लगे तो वे यह देखकर हंसने लगे। इसी तरह अक्तूबर 2024 में गांधी मैदान में रावण वध के दौरान उन्होंने अपना तीर धनुष फेंक दिया। पिछले साल ही नवंबर में विधानसभा में जब अशोक चौधरी संबोधित कर रहे थे, तब नीतीश उनके ब्रेसलेट से खेलते हुए नजर आए।
इसके अलावा नवंबर 2023 में बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रजनन पर विवादित बयान दिया। इस दौरान सदन में मौजूद महिला सदस्य झेंप गई थीं। इस बयान पर भी काफी विवाद हुआ था। ताजा मामले में शिव सेना (उद्धव ठाकरे गुट) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने सार्वजनिक उत्पीड़न करार दिया। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से निंदनीय है और महिला के हिजाब को जबरदस्ती खींचना, चुने हुए मुख्यमंत्री द्वारा एक महिला का सार्वजनिक उत्पीड़न है। इसी तरह की प्रतिक्रिया पूरे देश से आ रही हैं। खासकर मुस्लिम तबके लोग नीतीश की इस हरकत की आलोचना कर रहे हैं।
उधर, बिहार भाजपा के प्रवक्ता और अरवल के विधायक मनोज शर्मा ने कहा कि अगर किसी को नौकरी चाहिए होती है, तब भी तो उसे चेहरा दिखाना होता है। नियुक्ति पत्र देते वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस समय केवल एक संरक्षक की भूमिका में थे। बेहद सुलझे हुए व्यक्तित्व और अपने परिमार्जित वक्तव्यों के लिए चर्चित भाजपा विधायक मनोज शर्मा कहते हैं कि अगर आपको पासपोर्ट चाहिए होता है या आप एयरपोर्ट जाते हैं, तब भी क्या आप अपना चेहरा नहीं दिखाते? अब कोई पाकिस्तान या इंग्लिशतान की बात करता है तो वह ठीक नहीं है। यह भारत है और यहां केवल भारतीय कानून ही चलते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुछ भी गलत नहीं किया।
अरवल के भाजपा विधायक और प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि नीतीश ने सभी का सम्मान करते हैं। वे सबको आश्वस्त करते हैं कि वह मुख्यमंत्री से कहीं अधिक एक संरक्षक हैं। वीडियो में दिख रही लड़की एक बच्ची की तरह है। उनका यह कृत्य स्नेहवश हो सकता है। इसलिए नीतीश पर उंगली उठाना दुखद है। विधायक शर्मा कहते हैं कि नीतीश सबके लिए अभिभावक की भांति हैं। उनका यह कृत्य बच्ची के प्रति स्नेह था। मैं नीतीश कुमार का बहुत सम्मान करता हूं और उनके कार्य निष्पक्ष और विकासोन्मुखी हैं। किसी व्यक्ति का स्वभाव देखना चाहिए, वही मायने रखता है। खैर, जो हो पर सवाल यही है कि नीतीश कुमार यदि मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं तो इस तरह की हरकतें क्यों कर रहते हैं। (लेखक आज समाज के संपादक हैं।)
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