Radha Kund Snan: राधा कुंड स्नान में स्नान करने से संतान की होगी है प्राप्ति

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Radha Kund Snan: राधा कुंड स्नान में स्नान करने से संतान की होगी है प्राप्ति
Radha Kund Snan: राधा कुंड स्नान में स्नान करने से संतान की होगी है प्राप्ति

जानें किस दिन किया जाएगा राधा कुंड स्नान
Radha Kund Snan (आज समाज), नई दिल्ली: हर साल कार्तिक माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर मथुरा के गोवर्धन में स्थित राधा कुंड में स्नान किया जाता है। इस कुंड में स्नान करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से निसंतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति हो सकती है। राधा कुंड गोवर्धन परिक्रमा का एक महत्वपूर्ण भाग है। अहोई अष्टमी के दिन शादीशुदा जोड़े इस कुंड में डुबकी लगाते हैं और राधा रानी से संतान की कामना करते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस साल राधा कुंड में स्नान का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है।

राधा कुंड स्नान शुभ मुहूर्त

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर को रात 12 बजकर 24 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 14 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 9 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, राधा कुंड स्नान सोमवार, 13 अक्टूबर को किया जाएगा। इस दिन स्नान का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा।

  • राधा कुंड स्नान मुहूर्त: रात 11 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 30 मिनट तक

अर्ध रात्रि को निशिता काल में स्नान करने का विशेष महत्व

ऐसी मान्यता है कि, जो भी साधक अहोई अष्टमी व्रत के दिन श्रद्धापूर्वक राधा कुंड में स्नान करता है या डुबकी लगाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वहीं अगर अहोई अष्टमी के दिन अर्ध रात्रि को निशिता काल में इस कुंड में स्नान किया जाए, तो इससे साधक की संतान प्राप्ति की इच्छा भी पूरी हो सकती है।

भगवान श्रीकृष्ण का भी मिलता है आशीर्वाद

साथ ही यह भी मान्यता है कि राधा कुंड में स्नान करने से साधक को राधा रानी के साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण की भी कृपा की प्राप्ति होती है। इसी कारण से अहोई अष्टमी व्रत के दिन निसंतान जोड़े यहां डुबकी लगाने आते हैं। जब किसी जोड़े की संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी हो जाती है, तो वह दोबारा इस कुंड में आकर स्नान करते हैं और राधा रानी जी का धन्यवाद प्रकट करते हैं।

इस तरह करें स्नान

संतान प्राप्ति की मनोकामना के लिए स्नान करने वाले जोड़े को पूरे दिन व्रत करते हैं और मध्य रात्रि यानी निशिता काल में कुंड में स्नान करते हैं। इस दौरान कच्चा सफेद कद्दू जिसे पेठा कहा जाता है, को एक लाल कपड़े में बांधकर अपने हाथों में रखते हैं। राधा रानी का ध्यान करते हैं और मनोकामना पूर्ति की कामना करते हैं। इसके बाद यह पेठा राधा रानी को अर्पित किया है।

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