Cauliflower Cultivation: फूलगोभी की खेती के लिए अगस्त-सितंबर का समय उपयुक्त, मोटा लाभ कमा सकते है किसान

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Cauliflower Cultivation: फूलगोभी की खेती के लिए अगस्त-सितंबर का समय उपयुक्त, मोटा लाभ कमा सकते है किसान
Cauliflower Cultivation: फूलगोभी की खेती के लिए अगस्त-सितंबर का समय उपयुक्त, मोटा लाभ कमा सकते है किसान

जानें खेती करने की विधि और रख-रखाव के उपाय
Cauliflower Cultivation, (आज समाज), नई दिल्ली: अगस्त-सितंबर का समय फूल गोभी के लिए उपयुक्त है। अगस्त-सितंबर में लगाई गई फूलगोभी लगभग 60 से 70 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है बाजार में अच्छी कीमतें मिलती हैं। वहीं, जनवरी-फरवरी में लगाई गई फसल को ठंड के मौसम में पकने में करीब 80-85 दिन लगते हैं। मौसम और क्षेत्र के अनुसार किसान अलग-अलग किस्में चुन सकते हैं, जिसमें बरसात और ठंड दोनों मौसमों के हिसाब से खेती संभव है।

किसान भाई अगर कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो अगस्त और सितंबर का समय फूलगोभी की खेती के लिए बिल्कुल सही है। जुलाई खत्म होते ही किसान अगली फसल की तैयारी में लग जाते हैं, और ऐसे में फूलगोभी एक बेहतरीन विकल्प है।

1 एकड़ में 80 से 120 क्विंटल होता है गोभी का उत्पादन

एक एकड़ में फूलगोभी की खेती करने के लिए करीब 8,000 से 10,000 पौधे लगाए जाते हैं, जिसमें प्रति पौधा औसतन 1 का खर्च आता है। अगर किसान हाइब्रिड किस्म अपनाना चाहते हैं, तो पूसा हाइब्रिड एक बेहतरीन विकल्प है, हालांकि क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुसार किस्म का चुनाव करना भी फायदेमंद होता है। उचित देखभाल और खेती के तरीके से किसान एक एकड़ से 80 से 120 क्विंटल तक उत्पादन हासिल कर सकते हैं।

प्रमुख किस्में

फूलगोभी की कई उन्नत किस्में हैं जो अच्छी उपज देती हैं। कुछ लोकप्रिय किस्मों में सेमिनिस की गिरजा, अडवांटा- करिश्मा एफ-1, सिंजेंटा- लकी, सीएफएल 1522, नामधारी- ठर 555, ईस्ट वेस्ट- धवल 043 एफ-1, क्लॉज माधुरी, और नोबल सीड्स- हैप्पी शामिल हैं।

खेत की तैयारी

  • फूलगोभी की खेती के लिए, रेतीली दोमट से लेकर चिकनी दोमट मिट्टी उपयुक्त है।
  • देर से पकने वाली किस्मों के लिए चिकनी दोमट और जल्दी पकने वाली किस्मों के लिए रेतीली दोमट मिट्टी का चयन करें।
  • मिट्टी का पीएच मान 6-7 होना चाहिए।
  • खेत को अच्छी तरह से जोतकर भुरभुरा बना लें।
    गोबर की खाद और उर्वरकों का प्रयोग करें।
  • यदि आवश्यक हो तो, मिट्टी की पीएच बढ़ाने के लिए चूना मिलाएं।

बीज उपचार

  • बीजों को बीज जनित रोगों से बचाने के लिए उपचारित करें।
  • रबी के मौसम में, काली फफूंदी से बचाव के लिए, मर्करी क्लोराइड से बीजों को उपचारित करें।
  • रेतीली मिट्टी में तना गलन से बचाव के लिए, कार्बेनडाजिम से बीजों को उपचारित करें।

रोपाई

  • अगेती किस्मों के लिए, जून-जुलाई में रोपाई करें।
  • पिछेती किस्मों के लिए, अगस्त से मध्य सितंबर या अक्टूबर से नवंबर के पहले सप्ताह में रोपाई करें।
  • पौधों को 25 दिन बाद रोपाई के लिए तैयार करें।
  • मैदानी इलाकों में, 60 सेमी की दूरी पर कतारें और नालियां बनाएं।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में, 45 सेमी की दूरी पर गड्ढे खोदकर रोपाई करें।
  • रोपाई के बाद, पौधों को अच्छी तरह से पानी दें।

सिंचाई और निराई-गुड़ाई

  • फूलगोभी को नियमित रूप से पानी दें, खासकर फूल बनने के समय।
  • खरपतवारों को हटाने के लिए, 2-3 बार निराई-गुड़ाई करें।
  • फूल बनना शुरू होने पर, पौधों में मिट्टी चढ़ाएं।
  • कीट प्रबंधन
  • कीटों से बचाव के लिए, समय-समय पर कीटनाशकों का छिड़काव करें।
  • पौधों को कीटों से बचाने के लिए, जैविक कीटनाशकों का भी उपयोग कर सकते हैं।

कटाई

  • फूलगोभी के फूल पूरी तरह से विकसित होने पर कटाई करें।
  • अगेती किस्मों की कटाई 60-70 दिनों में, मध्यम किस्मों की 90-100 दिनों में और पछेती किस्मों की 110-180 दिनों में करें।

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