Ahoi Ashtami Vrat: अहोई अष्टमी व्रत आज, जाने पूजा विधि

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Ahoi Ashtami Vrat: अहोई अष्टमी व्रत आज, जाने पूजा विधि
Ahoi Ashtami Vrat: अहोई अष्टमी व्रत आज, जाने पूजा विधि

माताएं संतान की लंबी उम्र के लिए रखती है व्रत
Ahoi Ashtami Vrat, (आज समाज), नई दिल्ली: आज कार्तिक मास ही अष्टमी तिथि है। इस तिथि को अहोई अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। अहोई अष्टमी के दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती है। अहोई अष्टमी मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के शहरों में मनाई जाती है। अगर आप भी अहोई अष्टमी का व्रत करने जा रही हैं, तो चलिए आपको बताते हैं कि अहोई माता की पूजा कैसे करें और पूजा का टाइम क्या है।

अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त

  • अष्टमी तिथि शुरू: 13 अक्टूबर रात 12:24 मिनट पर।
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर सुबह 11:09 मिनट पर।
  • अहोई अष्टमी व्रत: सोमवार, 13 अक्टूबर 2025 को।
  • अहोई अष्टमी पूजा टाइम: 13 अक्टूबर शाम 5:53 मिनट से 7:08 मिनट तक।
  • तारों के निकलने का टाइम: 3 अक्तूबर शाम 06:17 मिनट से।
  • अहोई अष्टमी चंद्रोदय टाइम: 13 अक्टूबर रात 11:18 मिनट पर।

अहोई अष्टमी का व्रत क्यों रखा जाता है

कार्तिक मास में करवा चौथ के ठीक चार दिन बाद कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को संतान की आयु और उसके जीवन में आने वाले सभी बाधाओं से मुक्ति के लिए अहोई माता का व्रत रखा जाता है, जिसे अहोई अष्टमी व्रत के नाम से जाना जाता है।

अहोई अष्टमी की पूजा के लिए क्या सामग्री चाहिए?

अहोई अष्टमी की पूजा के लिए अहोई माता की तस्वीर, श्रृंगार का सामान, जल का कलश, करवा, दीपक, गाय का घी, धूप-बत्ती, रोली, कलावा, अक्षत (चावल), सूखा आटा (चौक बनाने के लिए), दूध, फूल, फलों (जैसे सिंघाड़ा) और मिठाई का भोग शामिल होता है। इसके अलावा, अहोई माता की व्रत कथा की पुस्तक की जरूरत होती है।

अहोई अष्टमी की पूजा कैसे करें

  • अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं, जिसमें साही और चांद-तारे भी बनाए जाते हैं या माता का चित्र स्थापित करें।
  • फिर एक मिट्टी या तांबे के कलश में जल भरकर पूजा स्थल पर स्थापित करें।
  • कलश के पास एक दीपक जलाएं, जो पूरी पूजा के दौरान जलता रहे।
  • संतान की लंबी आयु की कामना करते हुए निर्जला व्रत का संकल्प लें।
  • अहोई माता को रोली, कुमकुम, चावल, हल्दी, फूल-माला, धूप-दीप से सजाएं।
  • फिर अहोई माता को फल, मिठाई और पूरी का भोग लगाएं।
  • इसके बाद अहोई माता की कथा को सुनें या फिर पढ़ें।
  • पूजा के अंत में अहोई माता की आरती करें।
  • शाम को तारों को देखकर हाथ में गेहूं या चावल के कुछ दाने लेकर उन्हें अर्घ्य दें और जल अर्पित करें।
  • इसके बाद ही अपना व्रत खोलें और फल-मिठाई आदि ग्रहण करें।
  • अहोई अष्टमी के दिन कौन से काम नहीं करने चाहिए
  • अहोई अष्टमी के दिन महिलाओं को मिट्टी की किसी भी तरह की खुदाई नहीं करनी चाहिए।
  • अहोई अष्टमी के दिन सात्विक भोजन ही करना चाहिए और तामसिक भोजन से दूर रहें।
  • अहोई अष्टमी की पूजा में तांबे या पीतल का लोटा इस्तेमाल करें, स्टील का लोटा यूज न करें।
  • अहोई अष्टमी के दिन चाकू या कैंची जैसी चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

अहोई अष्टमी का व्रत कैसे खोला जाता है

अहोई अष्टमी का व्रत तारोदय होने पर तारों का दर्शन करके खोला जाता है। संध्या काल में व्रती माताएं अहोई अष्टमी माता की पूजा कर तारों का दर्शन करके उन्हें जल का अर्घ्य देती हैं। इसके बाद ही व्रत पूरा माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तारों को करवे से अर्घ्य दिया जाता है।