
श्री प्रेम मंदिर की परमाध्यक्षा ने गुरुदेव चतुर्थ के द्वारा किए गए तप, सेवा, सिमरन को स्मरण किया एवं सभी कार्य आज भी उनकी अदृश्य शक्ति द्वारा सम्पन्न हो रहे हैं। हम सब तो केवल निमित्त मात्र हैं। सम्मेलन के समापन पर सभी सन्तों का आभार प्रकट किया एवं सभी संगत से किसी सेवादार देवियों अथवा किसी के द्वारा यदि कोई त्रुटि हुई हो तो उसके लिए क्षमा करें और उसको यहीं छोड़ कर जाएं। सन्तों द्वारा दिए गए उपदेश लेकर जाएं। सत्संग के बाद प्रभु प्रसादी का अखुट लंगर प्राप्त कर संगत निहाल हुई। श्री प्रेम मंदिर (लैय्या) ट्रस्ट पानीपत शहर के प्रशासन नगर निगम पुलिस एवं मीडिया द्वारा प्रदान सेवा सहयोग का बहुत-बहुत धन्यवाद करता है। आशा है कि आगे भी ऐसा ही सहयोग मिलता रहेगा। आज के सत्र में मुक्तसर, गोहाना, बहादुरगढ़, झज्जर, दुजाना, रोहतक, कैथल, कानपुर, पंचकुला आदि से आए तथा श्री प्रेम मन्दिर सेवक सभा के सभी सेवादारों तथा पानीपत की बहुत सारी संस्थाओं के सेवादारों ने सेवा में बढ़चढ़कर भाग लेकर जीवन को सफल बनाया।
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