Chhath Puja: छठ पर महिलाएं क्यों लगाती हैं नाक से लेकर सिर तक नारंगी सिंदूर? जानें-परंपरा और महत्व

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Chhath Puja: छठ पर महिलाएं क्यों लगाती हैं नाक से लेकर सिर तक नारंगी सिंदूर? जानें-परंपरा और महत्व
Chhath Puja: छठ पर महिलाएं क्यों लगाती हैं नाक से लेकर सिर तक नारंगी सिंदूर? जानें-परंपरा और महत्व

घर-परिवार की सुख-समृद्धि के लिए शुभ होता सिंदूर लगाना
Chhath Puja, (आज समाज), नई दिल्ली: छठ पूजा शुरू हो चुकी है। आज पूजा का दूसरा दिन है। छठ का व्रत कठिन व्रतों में गिना जाता है। छठ पूजा पर 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। इस दौरान छठी मैया और सूर्य देव की पूजा की जाती है। 28 अक्टूबर को उषा अर्घ्य के साथ इस महापर्व का समापन हो जाएगा।

छठ आस्था, समर्पण और शुभता का प्रतीक है। छठ पूजा के शुभ मौके पर महिलाएं नारंगी रंग का लंबा सिंदूर लागती हैं। महिलाओं का ये सिंदूर उनकी नाक से लेकर मांग तक होता है। आइए जानते हैं कि छठ पूजा पर महिलाएं नारंगी सिंदूर क्यों लगाती हैं?

नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाने की पंरपरा

छठ के महापर्व के दौरान महिलाएं नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाती हैं। बिहार और पूर्वांचल में अधिकांश तौर पर महिलाएं नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाती हैं। मान्यताओं के अनुसार, छठ महापर्व के दौरान महिलाओं द्वारा नाक से मांग तक सिंदूर लगाने का मतलब है ये कि व्रती महिलाएं पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य देव को अर्घ्य दे रही हैं। इस तरह से सिंदूर लगाना घर-परिवार की सुख-समृद्धि के लिए शुभ होता है। मान्यता है कि सिंदूर जितना लंबा होता है पति की आयु उतनी ही लंबी होती है।

छठ पूजा पर नारंगी सिंदूर लगाने का महत्व

आमतौर पर महिलाएं लाल सिंदूर लगाती हैं, लेकिन छठ के दौरान सिंदूर का रंग नारंगी होता है। छठ महापर्व पर नारंगी सिंदूर लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। छठ के महापर्व पर सूर्य देव को पूजा जाता है। नारंगी रग उनका प्रतीक माना जाता है। साथ ही नारंगी रंग का संबंध पवित्रता, ऊर्जा और आध्यात्मिकता से जोड़ा जाता है। यही कारण है कि महिलाएं छठ पूजा के दौरान नारंगी रंग का सिंदूर लगाती हैं।

मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है

नाक से माथे तक का हिस्सा अजना चक्र से जुड़ा होता है। अगर इसे सक्रिय किया जाए तो मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और फोकस बढ़ता है। ऐसे में नाक से मांग तक सिंदूर लगाने से मानसिक लाभ मिलता है।